किताबों की हमारी जिंदगी में क्या भूमिका है? इसका जवाब गौरी भट्टाचार्जी मेमोरियल और राज्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रबाल कुमार बसु ने बहुत ही सरलता से दी है। ‘छाप’ लिटरेचर फेस्टिवल में प्रबाल कुमार बसु ने किताब की अहमियत पर बात की। उन्होंने किताबों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह एक माध्यम है लोगों को समझने का।
उन्होंने कहा, ‘किताबों की हमारी जिंदगी में क्या भूमिका है? बचपन से ही हम बड़े बड़े राइटर्स के नाम सुनते आ रहे हैं, लियो टॉलस्टॉय, दोस्तोवस्की, जिन्हें देखने के लिए हमारे पास मौका नहीं है, ना ही फुर्सत है। पर हमें ये सोचने की जरूरत है कि ये जो राइटर्स हैं, वे क्या सोच रहे थे। वे बड़े लोग हैं, बड़े नाम हैं, उनके काम और नाम ने समाज को और फ्यूचर सोसाइटी को प्रभावित किया है। उन्होंने ये काम कैसे किया, तो इसका जवाब है- किताबों के माध्यम से’।
‘हम किताबें पढ़ते हैं ताकि ये समझ पाएं कि सभी बड़े लेखकों या साहित्यकार के मन में क्या चल रहा था। आप लोगों ने मार्क्स की “वन हंड्रेड इयर्स ऑफ़ सॉलिट्यूड” पढ़ी होगी। हमारे पास ऐसे महान लेखकों से मिलने का कोई रास्ता नहीं है, लेकिन किताबों के माध्यम से हम उन्हें जान सकते हैं। किताबों की एक और महत्वपूर्ण भूमिका है- हमारे दोस्त या समकालीन लेखक, जिनसे हम मिलते हैं। पर क्या हम उनके दिल की गहराई और सच्चाई को वाकई में जान पाते हैं? नहीं। तो ऐसे में हम उनके लेखन के जरिए ही उन्हें समझ पाते हैं। जब मैं अपने दोस्तों या समकालीन लेखकों की किताबें पढ़ता हूं, तभी मैं उनके दिल और दिमाग को समझ पाता हूं। एक पुस्तक की यह एक अहम भूमिका है। मैं जब तक हूं, तब तक लिखता रहूंगा और लोगों के लिए एक टास्क छोड़ जाऊंगा कि वे मुझे पढ़ें’।
कौन हैं प्रबाल कुमार बसु?
प्रबाल कुमार बसु ने 80 के दशक की शुरुआत में कविता लिखना शुरू किया और बंगाली में 21 कविता संग्रह, तीन लघु कहानी संग्रह, पांच निबंध संग्रह और एक पद्य नाटक संग्रह प्रकाशित किया है। उनकी रचनाओं का विभिन्न भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। उन्होंने ‘साइनपोस्ट: आजादी के बाद से बंगाली कविता’ का संपादन किया और वे कला, कविता, साहित्य और संस्कृति पर एक बंगाली पत्रिका ‘यापनचित्रा’ के संपादक हैं। प्रबाल कुमार बसु को उनकी कविताओं की पहली पुस्तक ‘तुमी प्रथम’ के लिए गौरी भट्टाचार्जी मेमोरियल पुरस्कार और 2005 में ‘जामोन कोरे गाइचे आकाश’ के लिए राज्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। वे कोलकाता इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर आर्ट, लिटरेचर एंड कल्चर के चेयरमैन हैं।
दो दिवसीय इवेंट का उद्देश्य
‘छाप’ इनॉगरल लिटरेचर फेस्टिवल सरायकेला-खरसावां और साहित्य कला फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में ऑटो क्लस्टर, आदित्यपुर के सभागार में आयोजित किया गया है। यह दो दिवसीय बुकफेस्ट राज्य के युवाओं को साहित्य, कला और संस्कृति से जोड़ने का एक अनूठा प्रयास है। 18 और 19 अक्टूबर 2024 को आयोजित इस बुकफेस्ट का उद्देश्य कला, संस्कृति और किताबों के जरिए समाज के सभी वर्गों को लोकतंत्र में अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए जागरूक करना है।

