नई दिल्ली: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके खिलाफ Land for Job Scam यानी जमीन के बदले नौकरी घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग केस चलाने की मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी CRPC की धारा 197(1) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत दी गई है।
ED ने लालू यादव और परिवार के खिलाफ दायर की थी चार्जशीट
इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रही है। अगस्त 2023 में ED ने लालू यादव, उनके बेटे तेजस्वी यादव, पत्नी राबड़ी देवी, सांसद बेटी मीसा भारती, बेटी हेमा यादव और दो कंपनियों – AK Infosystems Pvt. Ltd.और AB Exports Pvt. Ltd. के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी।
ED का आरोप: जमीन लेकर नौकरियां बांटी गईं, साजिश में शामिल पूरा परिवार
ईडी के मुताबिक, लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए *पटना के महुआ बाग और अन्य जगहों पर लोगों से सस्ती दरों पर जमीन लेकर रेलवे की नौकरियां देने का वादा किया। आरोप है कि इस आपराधिक साजिश में उनका पूरा परिवार और करीबी सहयोगी शामिल थे, जिससे जमीनों को अपने नाम करवाया गया लेकिन दस्तावेजों में उनकी सीधी भागीदारी न दिखाई दे।
दिल्ली की विशेष अदालत ने पहले ही लिया है संज्ञान
जनवरी 2024 में ईडी ने लालू परिवार के करीबी अमित कत्याल के खिलाफ पहली चार्जशीट दायर की थी। इसमें लालू की पत्नी, बेटियां और दो निजी कंपनियों का नाम भी था। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद मामला अदालत में आगे बढ़ेगा।
क्या है ‘जमीन के बदले नौकरी’ घोटाला?
यह घोटाला उस समय का है जब लालू प्रसाद यूपीए-1 सरकार में रेल मंत्री थे। आरोप है कि रेलवे में ग्रुप D की नौकरियों के लिए विज्ञापन नहीं दिए गए, और कई लोगों को आवेदन के तीन दिन के भीतर ही नौकरी मिल गई। इसके बदले में उनसे घूस के रूप में जमीन ली गई, जो बाद में लालू परिवार के स्वामित्व में आई। ईडी के अनुसार, परिवार को 7 अलग-अलग स्थानों पर संपत्तियां प्राप्त हुईं।