सेंट्रल डेस्क : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज एक दिवसीय दौरे पर कोलकाता पहुंची। इस दौरान उन्होंने रक्षा पीएसयू गार्डनरीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लि. (जीआरएसइ) द्वारा भारतीय नौसेना के लिए निर्मित स्वदेशी युद्धपोत विंध्यगिरि का जलावतरण किया। नौसेना में इस युद्धपोत के शामिल होने से उसकी ताकत में काफी इजाफा होगा। केंद्र सरकार के मेक इन इंडिया पहल के तहत पूर्णत: स्वदेशी तकनीक से इस अत्याधुनिक युद्धपोत का निर्माण किया गया है।
ये रहा राष्ट्रपति का कार्यक्रम
निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू गुरुवार सुबह 10:00 बजे दमदम हवाई अड्डे पर उतरने के बाद राजभवन के लिए रवाना हुईं। राजभवन में ही ब्रह्माकुमारियों की ओर से आयोजित नशा मुक्ति भारत अभियान में उन्होंने शिरकत की। इस अभियान की समाप्ति के बाद राष्ट्रपति के सम्मान में भोज का आयोजन किया गया। भोज के बाद अपराह्न 1:25 बजे गार्डन रीच शिप बिल्डर के लिए रवाना हो गईं। यहां 2:50 बजे तक कार्यक्रम का निर्धारण है। वहां से वे हवाई अड्डा के लिए रवाना होंगी। अपराह्न 3:40 बजे राष्ट्रपति हवाई अड्डा पहुंचेंगी और 3:50 बजे उनका विमान दिल्ली के लिए उड़ान भरेगा। इस वजह से कोलकाता के उन सभी रास्तों को कुछ देर के लिए बंद रखा जाएगा, जहां से राष्ट्रपति का काफिला गुजरने वाला है।
मुर्मु का यह दूसरा बंगाल दौरा
पिछले साल राष्ट्रपति बनने के बाद मुर्मु का यह दूसरा बंगाल दौरा है। इससे पहले इस साल 27 मार्च को वह दो दिवसीय दौरे पर कोलकाता आईं थी, जिसमें राज्य सरकार द्वारा उनका भव्य नागरिक अभिनंदन किया गया था।
कर्नाटक की पर्वत श्रृंखला पर रखा गया पोत का नाम
इधर, इस नौसैनिक पोत का नाम कर्नाटक की पर्वत श्रृंखला के नाम पर रखा गया है और यह परियोजना 17ए फ्रि गेट का छठा पोत है। प्रोजेक्ट 17 क्लास फ्रि गेट्स (शिवालिक क्लास) के बाद बनाए गए युद्धपोत बेहतर स्टील्थ विशेषता, उन्नत हथियारों, सेंसर और प्लेटफार्म मैनेजमेंट सिस्टम से लैस हैं।
क्या कहा नौसेना ने ?
नौसेना का कहना है कि तकनीकी रूप से उन्नत पोत विंध्यगिरि, अपने पूर्ववर्ती लिएंडर क्लास एएसडब्ल्यू फ्रि गेट को सम्मान देता है। पूर्ववर्ती विंध्यगिरि ने आठ जुलाई 1981 से 11 जून 2012 तक अपनी 31 साल की सेवा के दौरान कई चुनौतीपूर्ण अभियान और बहुराष्ट्रीय अभ्यासों में भाग लिया था। नवनिर्मित विंध्यगिरि भारत के अपने समृद्ध नौसेना इतिहास को अंगीकार करने के दृढ़ संकल्प का प्रतीक होने के साथ-साथ भविष्य में स्वदेशी रक्षा क्षमता को प्रेरित करने को भी दर्शाता है।
प्रोजेक्ट 17ए के तहत बन रहे सात युद्धपोत
प्रोजेक्ट 17ए कार्यक्रम के तहत नौसेना के लिए सात युद्धपोत बनने हैं। इनमें पांच लांच हो चुके हैं, जो जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएंगे। सात में से चार पोत मजगांव डाक (एमडीएल) द्वारा और तीन पोत जीआरएसइ द्वारा निर्माणाधीन हैं। परियोजना के पहले पांच पोतों को एमडीएल और जीआरएसइ द्वारा 2019 से 2022 के बीच लांच किया जा चुका है।
स्वदेश में ही किया गया डिजाइन
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस परियोजना के पोत को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा स्वदेश में ही डिजाइन किया गया है। आत्मनिर्भर भारत की भावना का अनुपालन करते हुए प्रोजेक्ट 17ए पोतों के उपकरणों और प्रणालियों के लिए 75 प्रतिशत आर्डर स्वदेशी फर्मों से पूर्ण किए गए हैं। नौसेना का मानना है कि विंध्यगिरि का शुभारंभ भारत द्वारा आत्मनिर्भर नौसेना निर्माण करने के प्रति अतुलनीय प्रगति का एक प्रमाण है। नौसेना में इस युद्धपोत के शामिल होने के बाद उसकी ताकत में काफी इजाफा होगा।

