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Online Gambling: ऑनलाइन जुए पर प्रतिबंध के लिए केंद्र को भेजा जाएगा प्रस्ताव, गोवा व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों का आश्वासन!

Online Gambling : ऑनलाइन जुए पर नियंत्रण के लिए राष्ट्रव्यापी कानून बनाने की सुराज्य अभियान की मांग

by Birendra Ojha
Online gambling ban proposal sent to central government by Goa and Chhattisgarh CMs
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गोवा : देशभर में तेज़ी से बढ़ते ऑनलाइन जुए (‘रियल मनी गेमिंग’) के कारण लाखों परिवार बर्बाद हो रहे हैं और कुछ हजार करोड़ रुपये की लूट (Online Gambling) हो रही है। इस पर केवल राज्य में कानून बनाना पर्याप्त नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर एक कठोर और प्रभावी कानून बनाना नितांत आवश्यक है।

इसके लिए हिंदू जनजागृति समिति के ‘सुराज्य अभियान’ की ओर से गोवा राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत तथा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से प्रत्यक्ष भेंट कर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 252 के अंतर्गत केंद्र सरकार को प्रस्ताव प्रस्तुत करने की मांग की गई है। इसके अनुसार दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सकारात्मक प्रतिसाद देते हुए शीघ्र ही केंद्र को प्रस्ताव भेजने का आश्वासन शिष्टमंडल को दिया है।

छत्तीसगढ़ में हिंदू जनजागृति समिति के छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र राज्य संघटक सुनील घनवट, स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष एवं स्वा. सावरकर के नाती रणजीत सावरकर, गोविंद साहू, रोहित तिरंगा, हेमंत कानस्कर, प्रसाद वडके, परवेश तिवारी, अंकित द्विवेदी, अजयसिंह ठाकुर एवं आशिष परीडा उपस्थित थे। मुख्यमंत्री साय ने इस विषय (Online Gambling) की गंभीरता को देखते हुए प्रस्ताव आगे भेजने का आश्वासन दिया।

वहीं गोवा राज्य में ‘सुराज्य अभियान’ के शिष्टमंडल में राजेंद्र देसाई, नारायण नाडकर्णी, मनोज गावकर, सुचेंद्र अग्नी, स्वप्नील नाईक, सत्यविजय नाईक तथा सदाशिव धोंड शामिल थे। इस पर गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने कहा कि वे इस विषय पर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजेंगे और संबंधित अधिकारी को इसके लिए निर्देश भी दिए।

Online Gambling : ऑनलाइन जुए से हुई क्षति!

गोवा मेडिकल कॉलेज के वर्ष 2023 के अध्ययन के अनुसार 8% चिकित्सा छात्रों में ऑनलाइन गेमिंग की लत पाई गई है; Goa State Commission for Protection of Child Rights (GSCPCR) के अनुसार 20% गोमंतकीय किशोरवयीन जुए की लत के जोखिम में हैं; गोवा में more than 45% वयस्क पुरुषों ने पिछले वर्ष जुआ खेला है जिससे पारिवारिक और व्यावसायिक दृष्टिकोण से उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ा।

June 2025 में फोंडा के 19 वर्षीय युवक ने ऑनलाइन जुए में बड़ा नुकसान होने पर आत्महत्या कर ली; Goa Cyber Crime Cell ने पिछले 10 महीनों में 672 अवैध वेबसाइट्स और 936 मोबाइल फोन ब्लॉक किए हैं, फिर भी नए प्लेटफॉर्म लगातार सामने आ रहे हैं; वर्ष 2019 से अब तक गोवा में 44 मामले दर्ज किए गए हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य में : वर्ष 2025 में 21 वर्षीय वैभव साहू ने 35 हजार ऑनलाइन सट्टे में हारने के कारण आत्महत्या की; जुलाई 2025 में खैरागढ़ पुलिस ने नागपुर से संचालित 20 करोड़़ रुपये की ऑनलाइन सट्टा टोली का पर्दाफाश किया; अब तक राज्य में 444 अपराध दर्ज किए गए हैं, 1,000 से अधिक गिरफ्तारियाँ हुई हैं और 2.20 करोड़़ रुपयो की संपत्ति जब्त की गई है।

ऑनलाइन जुए (Online Gambling) से संबंधित ‘महादेव एप्स’ से 77 मामले जुड़े हुए हैं; आईपीएल (Indian Premier League) क्रिकेट सत्र के दौरान प्रतिदिन 8 से 10 लाख के सट्टे के व्यवहार सामने आए हैं जिनमें कई डिजिटल वॉलेट्स फ्रीज़ किए गए हैं।

जुए के एप्स चलाने वाली कंपनियों पर 25 हजार करोड़़ का जीएस्टी बकाया!

देशभर के कई फिल्म अभिनेता ऑनलाइन जुए का विज्ञापन कर रहे हैं जिससे युवाओं में इसका आकर्षण बढ़ा है। वर्ष 2025 में 50 करोड़़ भारतीय नागरिक ऑनलाइन जुए में शामिल थे। 2024 के आंकड़ों के अनुसार, यह उद्योग 30 हजार करोड़ से अधिक का टर्नओवर कर रहा था। कई एप विदेशी संचालकों द्वारा चलाए जा रहे हैं जिससे संदेह है कि पैसा विदेश भेजा जा रहा है।

साथ ही, ‘Dream11’ जैसे एप्स में जीतने की संभावना मात्र 0.00001% है जो कि लगभग शून्य है; इससे लाखों युवाओं की धोखाधड़ी हो रही है। केंद्र सरकार ने GST चोरी के मामले में ऑनलाइन जुए की कंपनियों को 55 हजार करोड़़ की नोटिस भेजी है, जिसमें केवल ‘Dream11’ पर ही 25 हजार करोड़ का बकाया है।

Online Gambling : राष्ट्रव्यापी कठोर कानून ही एकमात्र प्रभावी उपाय!

अब तक देश में केवल असम, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों ने ऑनलाइन जुए के विरुद्ध राज्यस्तरीय कानून बनाए हैं; परंतु ये कानून अपर्याप्त साबित हो रहे हैं और तमिलनाडु के कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई है। इसलिए राज्यनिहाय कानून पर्याप्त नहीं हैं; राष्ट्रव्यापी कठोर कानून ही इसका प्रभावी समाधान है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 252 के अंतर्गत यदि दो या अधिक राज्य केंद्र को प्रस्ताव भेजते हैं, तो संसद को राज्य सूची के विषय पर कानून बनाने का अधिकार प्राप्त होता है। इसी हेतु सुराज्य अभियान सभी राज्यों से शीघ्र प्रस्ताव केंद्र को भेजने का आह्वान कर रहा है।

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