Chaibasa (Jharkhand) : कांग्रेस नेता राहुल गांधी को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने से छूट देने के मामले ने चाईबासा के एमपी-एमएलए कोर्ट में एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। शनिवार को इस मामले में हुई सुनवाई के दौरान, प्रतिवादी प्रताप कटियार के अधिवक्ता केशव प्रसाद ने राहुल गांधी के आवेदन पर आपत्ति जताई।
केशव प्रसाद ने कोर्ट में अपना प्रत्युत्तर दाखिल करते हुए तर्क दिया कि 25 अगस्त 2025 को राहुल गांधी की ओर से जो आवेदन दिया गया है, उस पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं और न ही कोई शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने कहा कि बिना उचित दस्तावेजों के राहुल गांधी को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि यह कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ है।
दूसरी ओर, राहुल गांधी के अधिवक्ता सुभाष चंद्र मिश्रा ने कोर्ट से जवाब देने के लिए और समय मांगा। उन्होंने कहा कि सभी कानूनी पहलुओं को ठीक से प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है। अदालत ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 सितंबर 2025 की तारीख तय कर दी है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 2018 में कांग्रेस अधिवेशन के दौरान अमित शाह के खिलाफ राहुल गांधी की कथित अपमानजनक टिप्पणी से जुड़ा है। इस पर चाईबासा निवासी भाजपा नेता प्रताप कटियार ने 9 जुलाई 2018 को शिकायत दर्ज कराई थी।
इस मामले में पहले चाईबासा कोर्ट ने अप्रैल 2022 में राहुल गांधी के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था, और फरवरी 2024 में गैर-जमानती वारंट जारी किया गया। इसके बाद, राहुल गांधी को 6 अगस्त 2025 को व्यक्तिगत रूप से चाईबासा कोर्ट में पेश होना पड़ा था। इसी पेशी के बाद उन्होंने भविष्य की सुनवाई में सशरीर उपस्थिति से छूट के लिए आवेदन दिया था।
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