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Rahul Gandhi defamation case: अमित शाह पर टिप्पणी को लेकर राहुल के खिलाफ कार्यवाही पर सुप्रीम रोक

अदालत ने राज्य सरकार और शिकायतकर्ता नवीन झा को नोटिस जारी कर राहुल गांधी की याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें झारखंड उच्च न्यायालय के फरवरी 2024 के आदेश को चुनौती दी गई है।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने 2018 के एक पुराने मामले में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी पर सोमवार को कार्यवाही पर रोक लगा दी। बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ कथित ‘हत्या’ वाली टिप्पणी को लेकर लोकसभा के नेता राहुल गांधी के खिलाफ झारखंड की एक अदालत में लंबित मानहानि के मामले में उनके खिलाफ कार्यवाही पर सोमवार को रोक लगाई गई है।

कोर्ट ने सरकार व शिकायतकर्ता से मांगा जवाब
अदालत ने राज्य सरकार और शिकायतकर्ता नवीन झा को नोटिस जारी कर गांधी की याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें झारखंड उच्च न्यायालय के फरवरी 2024 के आदेश को चुनौती दी गई है। इस आदेश में निचली अदालत द्वारा उन्हें जारी समन को रद्द करने से इन्कार कर दिया गया था।

चाईबासा में 2019 में राहुल ने दिया था भाषण
राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले झारखंड के चाईबासा में अपने एक सार्वजनिक भाषण में कथित तौर पर शाह को ‘हत्यारा’ कहा था। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता नवीन झा ने अमित शाह के खिलाफ कथित टिप्पणी को लेकर 2019 में राहुल गांधी के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।

शिकायत में कहा – राहुल की टिप्पणी भाजपा कार्यकर्ताओं का अपमान
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने झारखंड सरकार और बीजेपी नेता को नोटिस जारी करते हुए गांधी की अपील पर उनसे जवाब मांगा। शिकायत में कहा गया है कि शाह पर ‘हत्या का आरोपी’ होने का आरोप लगाने वाली टिप्पणी पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं, समर्थकों और पार्टी के काम के लिए निःस्वार्थ भाव से समर्पित नेताओं का अपमान है।

झारखंड उच्च न्यायालय ने टिप्पणी को माना था आपत्तिजनक
झारखंड उच्च न्यायालय ने पिछले साल झारखंड की चाईबासा अदालत में एमपी/एमएलए अदालत द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के मौजूदा नेता द्वारा की गई टिप्पणी को प्रथम दृष्टया अपमानजनक’ पाया और कहा, “कथित बयान इंगित करता है कि गांधी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी नेतृत्व सत्ता के नशे में चूर था और झूठा था। इसका आगे मतलब है कि बीजेपी के पार्टी कार्यकर्ता ऐसे व्यक्ति को अपने नेता के रूप में स्वीकार करेंगे। यह आरोप प्रथम दृष्टया मानहानि कारक है।

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