RANCHI : झारखंड की राजधानी रांची में वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम को दुरुस्त करने की दिशा में एक बड़ी पहल की जा रही है। रांची नगर निगम शहर से निकलने वाले सूखे और गीले कचरे के डिस्पोजल के लिए राज्य का पहला ‘मटीरियल रिकवरी फेसिलिटी’ (एमआरएफ) सेंटर बना रहा है। इस सेंटर में हाईटेक मशीनें लगाई जा रही हैं, जो सूखे और गीले कचरे को अलग अलग करेंगी। इससे डिस्पोजल करने में परेशानी कम होगी, वहीं कम समय में ज्यादा से ज्यादा कचरे का डिस्पोजल संभव होगा।
12 जगहों पर बनेगा सेंटर
नगर निगम क्षेत्र में कुल 12 स्थानों पर एमआरएफ सेंटर बनाए जा रहे हैं। इन सेंटरों का उद्देश्य शहर के सभी वार्डों से कलेक्ट होने वाले कचरे को व्यवस्थित तरीके से एकत्रित करना, छांटना और उसका रिसाइकल या प्रॉपर डिस्पोजल सुनिश्चित करना है। इन सेंटरों में हाईटेक मशीनें लगाई जा रही हैं। ये मशीनें कचरे को विभिन्न श्रेणियों में अलग करेंगी- जैसे प्लास्टिक, कागज, धातु, कांच और गीला कचरा। सूखा कचरा सेंटरों पर प्रोसेस किया जाएगा और रीसाइक्लिंग एजेंसियों को सौंपा जाएगा। गीला कचरा सीधे गेल इंडिया लिमिटेड के गैस प्लांट में भेजा जाएगा। वहां इसका उपयोग बायोगैस या कंपोस्ट बनाने में किया जाएगा।
प्रदूषण और दुर्गंध से मिलेगी मुक्ति
गौरतलब है कि रांची शहर से हर दिन लगभग सात हजार मीट्रिक टन कचरा निकलता है। यह अभी तक बिना छंटाई के डंपिंग यार्ड तक पहुंचता था, जिससे प्रदूषण और दुर्गंध की समस्या बनी रहती थी। नई व्यवस्था लागू होने के बाद शहर के सभी वार्डों में घर-घर कचरा संग्रहण के दौरान ही प्राइमरी सेग्रिगेशन किया जाएगा। इसके लिए लोगों से भी अपील की जा रही है। इसके बाद कचरे को पास के एमआरएफ सेंटर में भेजा जाएगा। नगर निगम का लक्ष्य है कि आने वाले छह महीनों में रांची को ‘जीरो वेस्ट सिटी’ बनाया जाए।
रिसाइक्लेबल कचरा खरीदेंगी एजेंसियां
नगर आयुक्त सुशांत गौरव की मानें तो सेंटरों के शुरू होने से न केवल कचरे का सही निपटान होगा, बल्कि शहर में प्रदूषण में भी भारी कमी आएगी। इसके अलावा रिसाइक्लिंग से वेस्ट का प्रॉपर डिस्पोजल भी होगा। नगर निगम ने एमआरएफ सेंटर बनाने का काम स्वच्छता कॉरपोरेशन और टीपीएस को सौंपा है। उन्होंने बताया कि सूखा कचरा जैसे प्लास्टिक, टिन, लोहे और कार्डबोर्ड को रीसाइक्लिंग एजेंसियों को बेचा जाएगा। इससे नगर निगम को कुछ लाभ भी होगा। वहीं गीला कचरा गेल के गैस प्लांट में भेजे जाने से शहर के कचरे से ऊर्जा बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम होगा।
इन जगहों पर बनेंगे सेंटर
हरमू : 1 करोड़
मधुकम : 1 करोड़
कर्बला चौक : 1 करोड़
आईटीआई बस स्टैंड : 1.25 करोड़
जगन्नाथपुर : 1.5 करोड़
नागा बाबा खटाल : 50 लाख
ट्रेकर स्टैंड : 50 लाख
हटिया : 50 लाख
बड़ा घाघरा : 1.5 करोड़
कांटाटोली : 80 लाख
मोरहाबादी : प्रस्तावित
खेलगांव : प्रस्तावित