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Rangbhari Ekadashi 2025 : रंगभरी एकादशी आज, जानें पूजन विधि, शुभ मुहूर्त और कथा

by Rakesh Pandey
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फीचर डेस्क : रंगभरी एकादशी का व्रत आज रखा गया है। यह पर्व महाशिवरात्रि के बाद आने वाली एकादशी के दिन विशेष रूप से मनाया जाता है। इसे आमलकी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के गौना (विवाह के पश्चात का वैवाहिक अनुष्ठान) संस्कार की परंपरा निभाई जाती है। खासकर वाराणसी में रंगभरी एकादशी का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर भक्तों द्वारा भगवान शिव को गुलाल और अबीर से सजाने की परंपरा है और होली खेली जाती है।

रंगभरी एकादशी का महत्व

रंगभरी एकादशी का शास्त्रों में विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती विवाह के बाद पहली बार काशी आए थे। इस दौरान उनके स्वागत के लिए उनके गणों (बारातियों-शुभचिंतकों) ने काशी में गुलाल और अबीर उड़ाए। रंगभरी एकादशी पर भगवान शिव को गुलाल, अबीर और फूलों से सजाने की परंपरा है। इस दिन को लेकर एक विशेष मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के आगमन पर उनके भक्त जमकर होली खेलते हैं और रंग-गुलाल उड़ाते हैं।

इसके अलावा, इस दिन व्रत और उपासना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और पापों से मुक्ति मिलती है। इसे लेकर धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से भक्तों को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और उनका जीवन सुखमय बनता है।

रंगभरी एकादशी व्रत विधि

रंगभरी एकादशी का व्रत करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाएं :

स्नान और संकल्प : इस दिन सबसे पहले प्रात:काल उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

पूजा की तैयारी : भगवान विष्णु और शिव की विधिवत पूजा करें। भगवान को फल, फूल, पंचामृत, तुलसी पत्ता, धूप, दीप, चंदन, अक्षत, गुलाल और अबीर अर्पित करें।

भगवान को आंवला और तुलसी अर्पित करें : भगवान विष्णु को आंवला और तुलसी अर्पित करें और भगवान शिव तथा माता पार्वती को गुलाल चढ़ाकर उनकी पूजा करें।

प्रसाद वितरण : भगवान को प्रसाद का भोग लगाने के बाद उसे प्रसाद के रूप में वितरित करें।

मंत्र जाप और कथा सुनना : पूजा के दौरान भगवान के मंत्रों का जाप करें और रंगभरी एकादशी की कथा सुनें।

रात्रि जागरण : रात्रि को जागरण करें और अगले दिन सुबह-सुबह शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें।

दान देना : व्रत के समापन पर सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा दें। आप अन्न, वस्त्र, फल या जरूरत की कोई सामग्री दान कर सकते हैं।

पूजन का शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 4:59 बजे से 5:48 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:08 बजे से 12:55 बजे तक

पारण समय

11 मार्च को सुबह 06:11 बजे से 06:43 बजे तक

रंगभरी एकादशी की कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब भगवान शिव माता पार्वती से विवाह कर काशी लौटे, तो उनके गणों ने काशी में उनका गुलाल और अबीर से स्वागत किया। इस उत्सव में भगवान शिव और माता पार्वती ने भी अपने भक्तों के साथ होली खेली। तब से हर साल यह परंपरा बाबा विश्वनाथ की शोभा यात्रा के रूप में मनाई जाती है। रंगभरी एकादशी का पर्व विशेष रूप से भक्तों के लिए एक अवसर होता है, जब वे भगवान शिव और माता पार्वती के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं और उनके साथ इस रंग-बिरंगे उत्सव का आनंद लेते हैं।

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