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वीमेंस यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार की मनमर्जी: पीएचडी इंक्रीमेंट के लिए नहीं भेजी शिक्षकों की सूची

by Rakesh Pandey
Women's University
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पवन कुमार सिंह, जमशेदपुर :  जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में सेवारत शिक्षकों के पीएचडी इंक्रीमेंट काे लेकर बड़ी लापरवाही सामने आयी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसारविश्वविद्यालय में सेवारत पीएचडी और एमफिल डिग्री धारी शिक्षकों की सूची अब तक इंक्रीमेंट के लिए उच्च शिक्षा विभाग को नहीं भेजी गई है। शिक्षकों से संबंध में प्रस्ताव तक नहीं मांगा गया है, यह स्थिति तब है जब दूसरे विश्वविद्यालयों में शिक्षकों को इंक्रीमेंट का भुगतान होने लगा है। कोल्हन विश्वविद्यालय में दाे काॅलेजाें के शिक्षकों को यह राशि प्राप्त होने लगी है। जबकि शेष कई शिक्षकाें का अनुमोदन प्राप्त होकर फाइल उच्च शिक्षा विभाग से विश्वविद्यालय में आ गयी है।

उन्हें भी अगले महीने इंक्रीमेंट का लाभ मिलने लगेगा, लेकिन महिला विवि में अभी तक शिक्षकाें ने आवेदन तक जमा नहीं किये गये हैं। शिक्षकाें के हवाले से छात्र नेता हेमंत पाठक ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय के कुलसचिव राजेंद्र प्रसाद इंक्रीमेंट की फाइल भेजने में रुचि नहीं ले रहे। कुलसचिव की मनमर्जी के कारण शिक्षकों को हर महीने आर्थिक नुकसान हो रहा है। तर्क दिया गया है कि राजेंद्र प्रसाद खुद पीएचडी नहीं है, लिहाजा वह दूसरे योग्यताधारी शिक्षकों को इस मद में मिलने वाली राशि के भुगतान के लिए अपने स्तर से पहल नहीं कर रहे हैं। कारण यह है कि उन्हें निजी तौर पर इस मद में लाभ नहीं मिलने वाला है।

 

वर्ष 2021 से होना है राशि का भुगतान

झारखंड सरकार के उच्च शिक्षा विभाग की ओर से 2021 सितंबर से शिक्षकों को पीएचडी और एमफिल इंक्रीमेंट का भुगतान किया जाना है। जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी के सिंडिकेट की तरफ से भी इस संबंध में प्रस्ताव पास किया गया है लेकिन शिक्षकों से इस संबंध में प्रस्ताव विभाग को नहीं भेजा गया है। इससे यहां के शिक्षकाें काे आर्थिक नुकसान हाे रहा है। शिक्षकाें के हवाले से छात्र नेता का कहना है कि प्रक्रिया का हवाला देकर रजिस्ट्रार कार्यालय पीएचडी इंक्रीमेंट काे लटका रहा है।

 

 

किसे मिलेगा कितना इंक्रीमेंट:

 

जिन विवि शिक्षकों के पास नियुक्ति के समय या उससे पहले पीएचडी की अर्हता थी, उन्हें एक साथ पांच इंक्रीमेंट दिया जाएगा। वैसे विवि शिक्षक, जो नियुक्ति के बाद पीएचडी रिसर्च किए हैं, उन्हें एक साथ तीन इंक्रीमेंट दिया जाएगा। जिन विवि शिक्षकों के पास नियुक्ति के समय या उससे पहले एमफिल की अर्हता थी, उन्हें एक साथ दो इंक्रीमेंट दिया जाएगा। वैसे विवि शिक्षक, जिन्होंने नियुक्ति के बाद एमफिल की डिग्री प्राप्त की है, उन्हें एक साथ एक इंक्रीमेंट दिया जाएगा।

 

हर माह 20 हजार रुपए का होगा आर्थिक लाभ:

नियुक्ति के समय जिन शिक्षकों के पास पीएचडी की डिग्री थी, उन्हें हर माह लगभग 20 हजार रुपए का आर्थिक लाभ होगा। वहीं वैसे शिक्षक, जिन्होंने नियुक्ति के बाद पीएचडी की डिग्री हासिल की है, उन्हें प्रतिमाह लगभग 11 हजार रुपए का आर्थिक लाभ होगा।

 

वीमेंस कॉलेज के समय मांगा गया, यूनिवर्सिटी बनने के बाद सिंडिकेट में हुआ फैसला, नहीं हुआ निर्णय का अनुपालन

 

बताया जा रहा है कि वीमेंस कॉलेज के समय 15 जून 2022 को कोल्हन विश्वविद्यालय की अधिसूचना के तत्कालीन प्राचार्य सुधीर साहू के कार्यकाल में संबंधित प्रस्ताव मांगा गया था। महाविद्यालय के विश्वविद्यालय बनने के बाद संबंधित प्रस्ताव सिंडिकेट में पेश किया गया। इसे पारित तो किया गया लेकिन अधिसूचना जारी कर आवेदन नहीं मांगे गए,  इस संबंध में कई अलग-अलग शिक्षकों की मांग को भी नजरअंदाज किया गया।

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जैसा कुलसचिव ने मीडिया से बातचीत में बताया

एक दैनिक समाचार पत्र को दिए गए बयान में वीमेंस विश्वविद्यालय के कुलसचिव राजेंद्र प्रसाद ने दावा किया कि विवि में पीएचडी व एम-फील इंक्रीमेंट का लाभ पाने वाले करीब 15 शिक्षक हैं। इन्हें पांच बिंदुओं पर डॉक्यूमेंट के साथ आवेदन देना है। अभी तक अधिकतर शिक्षकों ने यह प्रक्रिया पूरी नहीं की है। जिसकी वजह से सूची नहीं भेजी जा रही है। जैसे ही शिक्षक प्रक्रिया काे पूरा करते हुए आवेदन देंगे विवि उसे सत्यापित करते हुए सूची। उच्च शिक्षा विभाग काे भेज देगी।

 

द फोटोन न्यूज़ से बोले रजिस्ट्रार- जल्द भेज देंगे सूची, वित्त पदाधिकारी बोले- नहीं दे सकता मामले पर बयान

पूरे मामले पर रजिस्ट्रार राजेंद्र प्रसाद का पक्ष लेने के लिए द फोटोन न्यूज़ की तरफ से उन्हें कॉल किया गया। रजिस्ट्रार ने कहा कि सूची जल्द ही भेज देंगे। कुछ शिक्षकों की ओर से प्रस्ताव जमा किया गया है। कुछ शिक्षकों ने जमा नहीं किया था इसलिए सबका एक साथ भेजने के लिए रोका गया था। अब पहले जमा करने वाले को पहले भेज दिया जायेगा। इस मामले पर विश्वविद्यालय के वित्त पदाधिकारी जावेद अहमद से पक्ष लेने का प्रयास किया गया उन्होंने कहा कि वह इस मामले पर कुछ नहीं बोलेंगे। रजिस्ट्रार ही इस संबंध में आधिकारिक तौर पर जानकारी दे सकते हैं।

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