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द्वितीय JPSC नियुक्ति घोटाला: 40 से अधिक आरोपितों ने वकील के माध्यम से अदालत में लगाई हाजिरी

द्वितीय जेपीएससी नियुक्ति घोटाले में 64 आरोपितों में से 40 से अधिक ने वकील के माध्यम से अदालत में हाजिरी लगाई। सीबीआई की चार्जशीट में कई बड़े नाम शामिल हैं।

by Anand Mishra
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झारखंड में सरकारी सेवाओं में बहाली को लेकर एक बार फिर बड़ी हलचल मच गई है। द्वितीय जेपीएससी नियुक्ति घोटाले में नामजद 64 आरोपितों में से 40 से अधिक ने मंगलवार को वकील के माध्यम से सीबीआई की विशेष अदालत में हाजिरी लगाई।

इस घोटाले में झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) के तत्कालीन अध्यक्ष से लेकर परीक्षा नियंत्रक और इंटरव्यू पैनल के विशेषज्ञ तक शामिल हैं, जिन पर बहालियों में धांधली कर योग्य उम्मीदवारों को बाहर कर, मनचाहे अभ्यर्थियों को पास कराने का आरोप है।

पूर्व अध्यक्ष दिलीप प्रसाद समेत कई बड़े नाम

मंगलवार को रांची स्थित सीबीआई के विशेष न्यायाधीश की अदालत में जेपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष दिलीप प्रसाद, सदस्य गोपाल प्रसाद सिंह, शांति देवी, राधा गोविंद नागेश, परीक्षा नियंत्रक एलिष ऊषा रानी, इंटरव्यू बोर्ड के एक्सपर्ट सोहनराम और बटेश्वर पंडित ने सशरीर उपस्थित होकर हाजिरी लगाई।

ये सभी पहले प्रथम जेपीएससी घोटाले में भी आरोपित रह चुके हैं और वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर हैं।

CBI की चार्जशीट और समन जारी

झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 12 वर्षों की लंबी जांच के बाद 26 नवंबर 2024 को विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। इससे पहले 7 जुलाई 2012 को इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी।

चार्जशीट में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि कैसे जेपीएससी की चयन प्रक्रिया को प्रभावित कर योग्य अभ्यर्थियों के स्थान पर कुछ खास लोगों को नौकरी दी गई।

कैसे हुआ घोटाला: नंबर बढ़ाने से लेकर कॉपियों में कांट-छांट तक

CBI जांच के अनुसार—

जेपीएससी के कुछ सदस्यों और को-ऑर्डिनेटर के कहने पर 12 अभ्यर्थियों के अंक बढ़ाए गए।

कुछ कॉपियों में कांट-छांट कर नंबर बढ़ाए गए।

इंटरव्यू में दिए गए वास्तविक नंबरों को भी बढ़ा दिया गया।

इन सभी उत्तर पुस्तिकाओं की जांच गुजरात की फोरेंसिक लैब में कराई गई, जहां छेड़छाड़ की पुष्टि हुई।

नौकरी पाने वाले बन गए बड़े अधिकारी

इस घोटाले के सबसे गंभीर पहलुओं में से एक यह है कि जिन अभ्यर्थियों ने अनियमित तरीके से नियुक्ति पाई थी, वे अब प्रमोशन पाकर डीएसपी से एसपी बन चुके हैं और कई जिलों की कमान संभाल रहे हैं।

यह न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है, बल्कि पारदर्शी बहाली प्रक्रिया की साख को भी धूमिल करता है।

आरोपितों को दी गई थी सशरीर हाजिरी की चेतावनी

CBI की विशेष अदालत ने सभी आरोपितों को सशरीर पेश होने का आदेश दिया था। इसके बावजूद अधिकतर आरोपितों ने अपने वकीलों के माध्यम से हाजिरी लगाकर कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया।

सभी 64 आरोपितों में से 40 से अधिक ने अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल कर दी है। आने वाले दिनों में कोर्ट द्वारा तय किया जाएगा कि किन-किन आरोपितों पर आगे चार्ज फ्रेम किए जाएंगे।

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