जमशेदपुर : शब-ए-बारात (Shab-E-Barat) का पर्व शहर में गुरुवार की रात को मनाया जाएगा। इसे लेकर जिला प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है। डीसी अनन्य मित्तल, एसएसपसी किशोर कौशल और डीएसपी ट्रैफिक के संयुक्त आदेश से शहर में नो इंट्री लगाई गई है। शहर में यह नो इंट्री गुरुवार यानि 13 फरवरी को शाम छह बजे से शुरू हो जाएगी। यह नो इंट्री शुक्रवार को यानि 14 फरवरी को सुबह छह बजे तक रहेगी। इस दौरान शहर में भारी वाहनों के आवागमन पर रोक लगा दी गई है। यह नो इंट्री इसलिए लगाई गई है ताकि शहर में शब-ए-बारात का पर्व शांतिपूर्ण तरीके से मनाया जा सके। इस नो इंट्री से यात्री बसों को छूट दी गई है। यात्री बसें शहर में आवागमन कर सकती हैं। जबकि, बड़े व्यवसायिक वाहनों को शहर के बाहर ही रोक दिया जाएगा। यह वाहन मानगो में डिमना चौक, पारडीह चौक आदि इलाके से अंदर नहीं आने दिए जाएंगे।
कब्र पर होगा चिरागां
गौरतलब है कि गुरुवार की रात को शब-ए-बारात (Shab-E-Barat ) का पर्व है। इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग रात भर इबादत करेंगे। सबसे पहले शाम को मगरिब की नमाज के बाद लोग कब्रिस्तान जाएंगे। यहां हर अपनों की कब्र पर चिरागां करने के बाद फातेहा पढेंगे। लोग अपनों की कब्र पर फूलों की चादर भी चढ़ाते हैं। इसके लिए शहर की सभी कब्रिस्तानों को सजाया जा रहा है। यहां साफ-सफाई हो रही है। जुगसलाई, बर्मामाइंस, सोनारी, मानगो के जाकिर नगर, जवाहर नगर, साकची, धतकीडीह आदि कब्रिस्तानों में साफ-सफाई करा दी गई है। कब्रिस्तान से लौट कर लोग मस्जिदों का रुख करेंगे। मस्जिदों में शबे बारात के हवाले से विशेष नमाज अदा की जाती है। यहां रात भर नमाज पढ़ी जाएगी। इसके अलावा, कुरआन करीम की तिलावत और दुआएं भी पढ़ी जाएंगी। मस्जिदों को भी खूब सजाया गया है। मस्जिदों में लाइटिंग की जा रही है।
ऐसे शब ए बारात मनाएंगे शिया समुदाय के लोग
शिया समुदाय के लोग कब्रिस्तान जाने के बाद मस्जिद में जुटते हैं। शबे बारात को 12 वें इमाम हजरत महदी अलैहिस्सलाम का जन्म दिन भी है। इस रात को शिया समुदाय के लोग नए कपड़े पहनते हैं। घरों में पकवान बनाए जाते हैं। इमामबारगाह में महफिल का आयोजन किया जाता है। इमाम महदी अलैहिस्सलाम की शान में कसीदे पढे जाएंगे। शिया समुदाय के लोग इमाम महदी अलैहिस्सलाम की वेलादत की खुशी में पटाखे दाग कर जश्न भी मनाते हैं। जमशेदपुर में जाकिर नगर मामबारगाह में महफिल का आयोजन होगा। महफिल के बाद शबे बारात की विशेष नमाजें अदा की जाएगी। इसके बाद सुबह की नमाज से पहले नदी में जाकर अरीजा भी डाला जाएगा।
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