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Shadi.Com Fraud Case: हैदराबाद हाई कोर्ट ने अनुपम मित्तल को फेक प्रोफाइल स्कैम मामले में घेरा, FIR रद्द करने की याचिका खारिज

न्यायमूर्ति एन. तुकारामजी ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया और सभी आरोपियों को न्यायिक प्रक्रिया का सामना करने का आदेश दिया।

by Reeta Rai Sagar
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हैदराबाद : तेलंगाना उच्च न्यायालय ने शादी डॉट कॉम (Shaadi.com) के निदेशक अनुपम मित्तल, टीम लीडर विग्नेश और मैनेजर सतीश को एक ऑनलाइन धोखाधड़ी मामले में मुकदमे का सामना करने का आदेश दिया है। यह मामला एक फर्जी मैट्रिमोनियल प्रोफाइल के जरिए की गई ठगी से जुड़ा है। अदालत ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 35(3) के तहत नोटिस भी जारी किए हैं और पुलिस को गहन जांच के निर्देश दिए हैं।

फर्जी प्रोफाइल के जरिए महिला डॉक्टर से की गई थी 11 लाख की ठगी

यह मामला जुबली हिल्स, हैदराबाद की एक महिला डॉक्टर की शिकायत पर आधारित है। पुलिस के अनुसार, राजमुंद्री के रहने वाले चेर्कुरी हर्षा ने शादी डॉट कॉम पर एक फर्जी प्रोफाइल बनाई थी, जिसमें उन्होंने आंध्र प्रदेश के यानम क्षेत्र के एक विधायक की फोटो का इस्तेमाल किया।

हर्षा ने खुद को एनआरआई डॉक्टर का बेटा बताकर महिला को शादी का झांसा दिया। समय के साथ उसने विभिन्न बहानों से महिला से ₹11 लाख वसूल लिए। जब महिला ने पैसे वापस मांगे, तो हर्षा ने उसकी तस्वीरों को मॉर्फ कर ऑनलाइन प्रसारित करने की धमकी दी और ₹10 लाख और की मांग की।

शादी डॉट कॉम पर गंभीर लापरवाही के आरोप

महिला की शिकायत पर जुबली हिल्स पुलिस ने 25 फरवरी को केस दर्ज किया। जांच के दौरान मुख्य आरोपी हर्षा के साथ-साथ शादी डॉट कॉम के वरिष्ठ अधिकारियों — अनुपम मित्तल, विग्नेश और सतीश — को भी सह-आरोपी के रूप में नामजद किया गया। पुलिस ने प्लेटफॉर्म की प्रोफाइल सत्यापन प्रणाली और यूजर निगरानी में गंभीर खामियां पाई हैं।

शादी डॉट कॉम के अधिकारियों ने एफआईआर रद्द कराने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति एन. तुकारामजी ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद एफआईआर रद्द करने से इनकार कर दिया और सभी आरोपियों को न्यायिक प्रक्रिया का सामना करने का आदेश दिया।

कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें

याचिकाकर्ताओं के वकील अशोक रेड्डी ने तर्क दिया कि Shadi.com एक ओपन प्लेटफॉर्म है, जहां यूजर जनित कंटेंट होता है और वेबसाइट हर प्रोफाइल की सत्यता की जिम्मेदारी नहीं ले सकती। उन्होंने कहा, ‘वेबसाइट के पास उपयोगकर्ताओं द्वारा दी गई जानकारी की सटीकता जांचने की कोई व्यवस्था नहीं है’।
इस पर अतिरिक्त लोक अभियोजक जितेंद्र वीरमल्ला ने कहा कि जब किसी प्लेटफॉर्म पर धोखाधड़ी होती है तो उसके संचालनकर्ता पूरी तरह जिम्मेदार होते हैं और वे इससे पल्ला नहीं झाड़ सकते।

साइबर क्राइम पुलिस ने उजागर की सत्यापन प्रक्रिया की खामियां

15 मार्च को साइबर क्राइम पुलिस ने जोगदा वंशी कृष्णा को शादी डॉट कॉम पर फर्जी प्रोफाइल बनाकर बड़े पैमाने पर ऑनलाइन ठगी करने के आरोप में गिरफ्तार किया। इसके बाद जांच में सामने आया कि प्लेटफॉर्म पर ‘Select Shaadi’ जैसी प्रीमियम सेवा के बावजूद कोई वास्तविक दस्तावेज सत्यापन नहीं किया जा रहा था।

जांच में यह भी सामने आया कि प्लेटफॉर्म द्वारा नियुक्त रिलेशनशिप मैनेजर ने बिना किसी बैकग्राउंड चेक के पीड़िता को आरोपी से मिलवाया। अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने यूजर की शिकायतों को अनदेखा किया और धोखाधड़ी को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

IT अधिनियम के तहत ‘सेफ हार्बर’ सुरक्षा से वंचित हो सकता है प्लेटफॉर्म

सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के तहत, किसी भी ऑनलाइन इंटरमीडियरी को यूजर सत्यापन, गैरकानूनी कंटेंट पर शीघ्र कार्रवाई, शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति और प्रभावी शिकायत समाधान प्रणाली स्थापित करना अनिवार्य होता है।
पुलिस का कहना है कि शादी डॉट कॉम इन सभी आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहा है, जिससे वह आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 79(1) के तहत ‘सेफ हार्बर’ सुरक्षा से अयोग्य हो सकता है।

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