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सिख समाज अब मृत्यु के बाद नहीं लगाएगा लंगर

by Rakesh Pandey
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धनबाद : सिख समाज में अब किसी की मृत्यु होने के बाद लगने वाला लंगर यानी भोज नहीं होगा। सिख कंबाइंड पीस कमेटी (एससीपीसी) ने यह निर्णय लिया है। मटकुरिया में चरणजीत सिंह सलूजा की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।

कमेटी के अध्यक्ष प्रितपाल सिंह आजमानी ने प्रस्ताव रखा कि व्यक्ति के मरणोपरांत भोज का लंगर होता है, इसे बंद करने का आग्रह सभी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियों से किया जाएगा। आजमानी ने इसके लिए तर्क भी दिया। उन्होंने कहा पहले मृत्यु के उपरांत लंगर का प्राविधान नहीं था। गुरुद्वारा साहिब में कीर्तन दरबार होता है और इसमें संगत आकर शीष नवाती है।

लंगर घर से करके आते थे, गुरुद्वारा में सिर्फ चाय-नाश्ता हुआ करता था। कई गरीब सिख संगत इसका खर्च वहन नहीं कर पाते हैं, ऐसे में इस प्रथा को बंद करना श्रेयस्कर होगा। सिख कंबाइंड पीस कमेटी के माध्यम से इस संबंध में सभी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को पत्र दिया जाएगा।

इसके अनुपालन के लिए एक सात सदस्यीय कमेटी बनाई गई। धनबाद में 12 प्रमुख गुरुद्वारे हैं और सिख संगत की संख्या लगभग 20 हजार है।
इसके साथ ही सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरुनानक देव जी के जन्मदिन के अवसर पर गुरुनानकपुरा गुरुद्वारा से प्रभातफेरी निकालने का निर्णय लिया गया। यह प्रभातफेरी चांदमारी संत जी के स्थान तक निकाली जाती रही है, फिलहाल पिछले सात-आठ वर्षों से बंद है। प्रभातफेरी शुरू करने का निर्णय लिया गया।

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इसपर होने वाला खर्च सिख कंबाइंड पीस कमेटी वहन करेगी। सभी सदस्यों ने निर्णय पर अपनी सहमति जताई। निर्णय का स्वागत किया। धन्यवाद ज्ञापन मनिंदर सिंह सोनी ने किया। मौके पर उपाध्यक्ष मनजीत सिंह, सचिव मनिंदर सिंह सोनी, हरभजन सिंह, चरणजीत सिंह, सुरिंदरपाल सिंह, वरियाम सिंह, जगजीत सिंह शम्मी, जोगिंदर सिंह, मनमीत सिंह, गुरमीत सिंह मीतू, मनजीत सिंह बाबू उपस्थित थे।

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