पटना : बिहार में इस वर्ष होली का पर्व धूमधाम से मनाया गया। शुक्रवार को जहां राज्य भर में होली के रंगों ने उत्साह का माहौल बना दिया, वहीं शनिवार, 15 मार्च को भी होली की खुशी और उल्लास की लहर जारी रही। इस खास मौके पर आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे, तेज प्रताप यादव ने अपने पिता के अंदाज में होली खेली और सभी को उनके इस देसी अंदाज में होली की शुभकामनाएं दीं।
कुर्ता फाड़ होली का रिवाज:
तेज प्रताप यादव ने होली के इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया। वह अपने सरकारी आवास, 26 एम स्टैंड रोड, पटना में अपने समर्थकों के साथ पूरे देसी अंदाज में रंगों की होली खेलते दिखे। इस दौरान उन्होंने अपने पिता, लालू प्रसाद की तरह कुर्ता फाड़ होली खेलने की परंपरा को भी जीवित रखा। यह वही परंपरा है, जिसे लालू प्रसाद ने हमेशा होली के मौके पर निभाया और अब तेज प्रताप ने उसी रिवाज को फिर से जिन्दा किया। तेज प्रताप के इस कदम को उनके समर्थकों ने खासतौर पर सराहा और इसे एक नए रंग में बांधने की कोशिश के रूप में देखा।
तेज प्रताप ने कहा कि उनके पिता का यह अंदाज हमेशा से ही लोगों के बीच चर्चा का विषय रहा है। यही कारण है कि उन्होंने इस बार भी उसी अंदाज में होली मनाने का फैसला किया। तेज प्रताप का कहना था कि वह अपने पिताजी की होली को याद करते हुए, उनके द्वारा शुरू किए गए इस खास रिवाज को आगे बढ़ा रहे हैं। उनके लिए यह केवल होली का खेल नहीं, बल्कि बिहार की संस्कृति और परंपरा को बनाए रखने का एक तरीका है।
विपक्ष पर हमला:
होली के मौके पर तेज प्रताप यादव ने विपक्षी दलों को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि जनता अब उन नेताओं के कुर्ते फाड़ने का काम करेगी, जो समाज के लिए असल में खड़े नहीं हो पा रहे हैं। तेज प्रताप ने यह भी कहा कि विपक्षी दलों द्वारा विधानसभा चुनाव के बाद “असली होली” खेलने की बात पर उन्होंने तीखा जवाब दिया। उनका कहना था, “असली होली और नकली होली का कोई फर्क नहीं होता। होली तो एक पर्व है, जिसे हर कोई उत्साह और खुशी के साथ मनाता है।”
गया का फगुआ गीत:
तेज प्रताप यादव ने होली के मौके पर वही फगुआ गीत गाते हुए अपने समर्थकों के बीच रंग जमाया, जिस तरह उनके पिता लालू प्रसाद यादव करते आए थे। तेज प्रताप ने “बाबा हरिहरनाथ सोनपुर में होली खेले” वाला गीत अपने समर्थकों के साथ गाया। यह गीत केवल एक संगीत या नृत्य नहीं था, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने का एक प्रयास भी था। तेज प्रताप ने होली के इस दिन को और भी खास बनाने के लिए अपनी शैली में इसे एक जश्न के रूप में मनाया, जो लोगों को जोड़ने और बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक पहचान को उजागर करने का काम करता है।
कुल मिलाकर:
तेज प्रताप यादव का होली के इस पर्व को अपने पिता के अंदाज में मनाना न केवल एक परंपरा को जीवित रखने का प्रयास है, बल्कि बिहार की राजनीति में भी इसे एक खास संदेश के तौर पर देखा जा रहा है। तेज प्रताप ने इस मौके पर न केवल अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया, बल्कि विपक्ष के खिलाफ अपना आक्रामक रवैया भी दिखाया। बिहार के राजनीतिक हलकों में यह होली एक नई चर्चा का विषय बन गई है और इसके जरिए तेज प्रताप ने अपने समर्थकों को यह संकेत दिया है कि वह अपनी राजनीतिक यात्रा को अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए आगे बढ़ा रहे हैं।