हेल्थ डेस्क, नई दिल्ली : देश में तेजी से बढ़ रहे diabetes को लेकर सबसे बड़ा सर्वे सामने आया है। यह शोध एक दशक यानी दस सालों तक चला है, जिसे अभी तक का सबसे बड़ा सर्वे कहा जा रहा है। इस शोध को मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की मदद से पूरा किया है। इस शोध की रिपोर्ट काफी डराने वाली है। अगर, अब भी नहीं चेता गया तो आने वाला समय काफी विकट होने वाला है। डायबिटीज की वजह से होने वाली अन्य बिमारियों का भी खतरा बना रहता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर आप प्री-डायबिटीज हैं तो आपको यह बीमारी होने की आशंका सबसे ज्यादा है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्री-डायबिटीज वाले 60 प्रतिशत लोगों में अगले पांच साल के अंदर ये बीमारी हो जाती है।
अब आपके मन में सवाल होगा कि pre-diabetes क्या है? महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कालेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. राजन कुमार ने बताया कि जिन्हें भविष्य में डायबिटीज होने का खतरा अधिक होता है उन्हें प्री- डायबिटीज कहते हैं। इनके शरीर के रक्त में ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक रहता है।
वहीं, द लैंसेट की हालिया एक स्टडी में पाया गया है कि बीते चार सालों में 44 प्रतिशत डायबिटीज मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, यह बात काफी डराने वाली है। भारत में फिलहाल 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रस्त हैं।
अनुमान से अधिक मिले मरीज
भारत में डायबिटीज मरीजों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ी है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान भी पीछे छूट गया है। दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में लगभग 7.7 करोड़ डायबिटीज मरीजों का अनुमान लगाया था, लेकिन यह संख्या बढ़कर 10.1 करोड़ तक पहुंच गयी है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्री-डायबिटीज मरीजों का अनुमान 2.5 करोड़ लगाया था, लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बढ़कर लगभग 13.6 करोड़ तक पहुंच गई है।
भारत के इन राज्यों में डायबिटीज के अधिक मरीज
मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन की टीम द्वारा देश के विभिन्न राज्यों में जाकर किए गए शोध में कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आयी हैं। देश की बात करें तो क्या आपको पता है सबसे अधिक डायबिटीज के मरीज किस राज्य में हैं। शायद नहीं। लेकिन रिपोर्ट आपके सामने हैं।
इस रिपोर्ट में सबसे अधिक डायबिटीज के मरीज गोवा में होने की बात सामने आई हैं। यहां पर कुल 26.4 प्रतिशत आबादी डायबिटीज की शिकार है। इसके बाद यानी दूसरे नंबर पर पुडुचेरी का नंबर आता है। यहां पर कुल 26.3 प्रतिशत लोग ग्रस्त हैं। जबकि तीसरे नंबर पर केरल है। यहां की 25.5 प्रतिशत आबादी डायबिटीज से ग्रस्त है। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश में यह बीमारी कितने तेजी से बढ़ रही है।
सबसे कम यूपी में मरीज लेकिन यहां खतरा अधिक
रिपोर्ट में सबसे कम diabetes के मरीज उत्तर प्रदेश में होने की बात कहीं गई है, लेकिन यहां भविष्य में अधिक खतरा बताया गया है। उत्तर प्रदेश में सबसे कम 4.8 प्रतिशत लोग डायबिटीज से ग्रस्त मिले हैं, लेकिन यहां प्री-डायबिटीज के मरीज अधिक मिले हैं, जो आने वाले समय के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। यूपी में लगभग 18 प्रतिशत लोग प्री-डायबिटीज के मिले हैं।
इन राज्यों में भी कम मिले मरीज
रिपोर्ट में यह भी बात सामने आई हैं कि यूपी के बाद मध्य प्रदेश, बिहार और अरुणाचल प्रदेश में डायबिटीज के मरीज कम हैं, लेकिन भविष्य में यहां बीमारी के बढ़ने का खतरा अधिक है। चूंकि इन राज्यों में प्री-डायबिटीज के मरीज अधिक मिले हैं। ऐसे में इन राज्यों को इसके हिसाब से अपनी तैयारी करनी चाहिए। ताकि अधिक से अधिक लोगों को इस बीमारी से बचाया जा सकें।
Diabetes क्यों होता है?
डायबिटीज मरीजों की बढ़ती संख्या को देखकर आपके मन में सवाल उठता होगा कि यह बीमारी क्यों होती है? इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जमशेदपुर शाखा के पूर्व संयुक्त सचिव डा. संतोष गुप्ता कहते हैं कि यह बीमारी क्यों होती है, यह काफी अच्छा सवाल है और इसकी जानकारी सभी को होनी चाहिए।
तभी इस पर हमलोग काबू पा सकते हैं। डा. संतोष गुप्ता कहते हैं कि जब शरीर के प्रैंकियाज में इंसुलिन की कमी होने लगती है। यानी प्रैंकियाज में कम मात्रा में इंसुलिन पहुंचता है तो इस स्थिति में खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है, जिसे डायबिटीज कहते हैं।
इंसुलिन शरीर में क्या काम करता है?
डा. संतोष गुप्ता कहते हैं कि इंसुलिन के बारे में भी लोगों को जानना चाहिए। दरअसल, इंसुलिन एक तरह का हार्मोन है, जो शरीर के अंदर पाचन ग्रंथि से बनता है। इंसुलिन का काम भोजन को ऊर्जा में बदलना होता है। ऐसे में डायबिटीज के मरीजों को खान-पान पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।
डायबिटीज कितने तरह का होता है | How many types of diabetes are there ?
डायबिटीज को लेकर लोगों के मन में कई तरह के भ्रम की स्थिति है। अगर आपके मन में भी किसी तरह का भ्रम है तो आइए उसे दूर करते हैं। दरअसल, डायबिटीज दो तरह का होता है। टाइप-1 और टाइप-2। टाइप-1 डायबिटीज जेनेटिक (अनुवांशिक) होती है। यानी यह बीमारी आपके परिवार से आती है।
पीढ़ी दर पीढ़ी यह बीमारी चलती है। इसलिए उम्र 40 के बाद नियमित रूप से जांच कराने की सलाह दी जाती है। वहीं, टाइप-2 डायबिटीज आपके रहन-सहन व खान-पान की वजह से होती है। इसलिए, इसे जीवनशैली की बीमारी कहा जाता है।
डायबिटीज के लक्षण क्या-क्या होते हैं
– बार-बार प्यास लगना।
– बार-बार पेशाब आना।
– वजन घटने लगता है।
– पैर-हाथ में झुनझुनी या सुन्नता आ जाती है।
– जल्दी थकावट महसूस होना।
– आंख से धुंधला दिखाई देना।
– बार-बार भूख लगना।
– शरीर के घाव या जख्म का जल्दी ठीक नहीं होना।
– जल्दी-जल्दी इंफेक्शन होना।
– मसूड़ों में सूजन और खून आना।
Diabetes की वजह से होने वाली बीमारियां
डायबिटीज को साइलेंट किलर कहा जाता है। डायबिटीज की वजह से होने वाली अन्य बिमारियों का भी खतरा बना रहता है। यह शरीर को खोखला बना देता है और इंसान को पता भी नहीं चलता है। जब स्थिति काफी गंभीर हो जाती है तब इसके स्पष्ट लक्षण सामने आते हैं। इसलिए कहा जाता है कि डायबिटीज को लेकर काफी जागरूक होने की जरूरत है। आज के समय में तो कब किसे यह बीमारी जकड़ ले, कोई नहीं जानता है। बच्चे-बच्चे को यह बीमारी हो रही है। डायबिटीज के शरीर के सभी प्रमुख अंगों को डैमेज कर देता है। चलिए इसके बारे में जान लेते हैं-
आंख
डायबिटीज का सबसे अधिक प्रभाव आपके आंखों पर देखने को मिलता है। इससे आखों का आकार व नजर में बदलाव आ जाता है। वहीं, लेंस को भी नुकसान पहुंचाता है जिससे आपको कम दिखाई देने लगता है।
डायबिटिक डर्माड्रोम
डायबिटीज आपके त्वचा को भी नुकसान पहुंचाता है। कई बार देखा जाता है कि डायबिटीज की वजह से त्वचा पर बड़े-बड़े चकत्ते होने लगते हैं।
डायबिटीज कीटोएसिडोसिस
डायबिटीज के मरीजों में उल्टी, पेट दर्द, घबराहट, गहरी सांस लेने में दिक्कत व बेहोशी जैसे स्थिति भी उत्पन्न होती है। यह मेटाबोलिक प्रोसेस में होने वाली गड़बड़ी की वजह से होता है।
नसों को नुकसान
डायबिटीज आपके नसों को भी नुकसान पहुंचाता है। इस अवस्था को पेरीफेरल डायबिटीज न्यूरोपैथी कहते हैं। इस दौरान मरीज को लगता है कि उसके पैरों में सुई चुभ रही हो।
डायबिटीज रेटिनोपैथी
डायबिटीज आपके आंखों के रेटिना को भी डैमेज कर देता है। जिससे अंधापन होने का खतरा बढ़ जाता है।
मानिसक स्वास्थ्य पर प्रभाव
डायबिटीज के मरीजों में देखा गया है कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ता है। इस तरह के मरीज डिप्रेशन और एंग्जाइटी के अधिक शिकार मिलते हैं।
ह्यापरसोमोलर नॉन-केटोटिक स्टेट
इस अवस्था में डायबिटीज मरीजों के शरीर में पानी की कमी होने लगती है, जिससे कई गंभीर बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
किडनी को नुकसान
डायबिटीज किडनी को भी नुकसान पहुंचाता है। इस अवस्था को डायबिटीज नेफ्रोपैथी कहा जाता है। इसके कारण अक्सर मरीज को यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीई) और किडनी से संबंधित कई बीमारियों से जूझना पड़ता है।
Diabetes से कैसे बचें
कहा जाता है कि डायबिटीज अगर एक बार किसी को हो जाए तो उसे जिंदगी भर का टेंशन बढ़ा देता है लेकिन ऐसा नहीं है। आपके पास कुछ ऐसे संजीवनी मौजूद है जिसे अपनाकर आप डायबिटीज को कंट्रोल में रख सकते हैं। इस दौरान दवाइयां भी खाने की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन, आपको लगातार अपने डॉक्टर के संपर्क में रहने की जरूरत होती है।
खान-पान पर विशेष ध्यान
डायबिटीज मरीजों को खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। आज के समय में उनके लिए अलग से डाइट चार्ट तैयार हो रहा है। ताकि वह खान-पान के द्वारा अपने डायबिटीज को कंट्रोल में रख सकें। ऐसा देखा जा रहा है कि खान-पान की मदद से मरीजों का डायबिटीज कंट्रोल में रह रहा है।
ऐसे में डायबिटीज के मरीजों को टेंशन लेने की जरूरत नहीं है। एमजीएम अस्पताल के डायटीशियन अन्नू सिन्हा का कहना है कि डायबिटीज मरीजों का डाइट लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स के आधार पर बनाना होता है। इसमें ब्लड शुगर घटाने वाले खाद्य पदार्थों को शामिल किया जाता है। वहीं, हाई फैट्स और शुगर वाले खाद्य-पदार्थों को बाहर रखा जाता है।
नियमित रूप से करें योग, प्रणायाम या फिर व्यायाम
डायबिटीज मरीजों के लिए शारीरिक व्यायाम करना अति-आवश्यक होता है। इसमें योग, प्रणायाम या फिर व्यायाम को भी शामिल किया जा सकता है। मरीज अपने अनुसार, इसे अपना सकते हैं। लेकिन किसी विशेषज्ञ से सलाह देने के बाद ही इसे अपनाएं। चिकित्सक व्यायाम करने की सलाह इसलिए देते हैं चूंकि इससे न सिर्फ शुगर लेवल कम होता बल्कि इससे मोटपा, कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग सहित अन्य बीमारियां होने का भी खतरा कम हो जाता है।
तनाव को हावी नहीं हो दें
कहा जाता है कि तनाव कई बीमारियों की जड़ है। ऐसे में तनाव से बचें। डायबिटीज के मरीजों में हार्ट अटैक होने का खतरा अधिक होता है। ऐसे में तनाव से बिल्कुल बचना चाहिए। दिल की बीमारियों का एक बड़ी वजह तनाव है। डायबिटीज से बचने के लिए शारीरिक व मानसिक दोनों रूप से मजबूत होना होगा। ऐसे में दवा के साथ-साथ नियमित रूप से व्यायाम करें।
Diabetes हो गई है तो क्या करें
पहली बार जब किसी व्यक्ति की जांच रिपोर्ट आती है और उसे पता चलता है कि उसमें डायबिटीज की पुष्टि हुई है तो इसे सुनकर वह काफी घबरा जाता है। इस दौरान उसका शुगर लेवल और भी ज्यादा बढ़ जाता है लेकिन आपको बता दें कि अगर पहली बार आपकी रिपोर्ट में डायबिटीज होने की बात सामने आई है तो आप किसी एक लैब की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं करें।
चूंकि, कई लैब बिना चिकित्सक के ही चल रहे हैं। ऐसे में आप जब भी जांच कराएं तो किसी अच्छे लैब में, जहां डाक्टर के साथ-साथ सभी सुविधाएं मौजूद हो। वहीं, ब्लड शुगर अगर 300 से अधिक पहुंच गया हो तो उसे कभी भी नजरअंदाज नहीं करें बल्कि किसी चिकित्सक के पास पहुंचकर सलाह लें।
डायबिटीज का इलाज क्या है
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के फिजिशियन डा. बलराम झा कहते हैं कि अगर एक बार किसी को डायबिटीज हो जाए तो उसे जिंदगी भर दवा खानी पड़ती हैं। इस बीमारी का अभी तक कोई पक्का इलाज नहीं है। हालांकि, दवा व बेहतर जीवनशैली अपना कर इस बीमारी को पूरी तरह से आप कंट्रोल में रख सकते हैं। कई ऐसे मरीजों में देखा गया है कि बेहतर जीवनशैली की बदौलत उनका इंसुलिन व दवा भी छूट जाती है। लेकिन इस दौरान आपको अपने जीवनशैली पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।
डायबिटीज में क्या खाना चाहिए
डायबिटीज मरीजों को अपना डाइट चार्ट किसी डायटीशियन से बनवा लेना चाहिए। चूंकि, उन्हें खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। हर मरीजों का उनके अनुसार अलग-अलग डाइट चार्ट तैयार किया जाता है। हालांकि, सामान्य तौर पर मरीजों को ये सब खाने की सलाह दी जाती है।
डायबिटीज के मरीज दलिया, सामक चावल, कोदो चावल, गेहूं, सूजी को शामिल कर सकते हैं। वहीं, अरहर की दाल खा सकते हैं। इसके अलावा काबुली चने, हरे चने खा सकते हैं। वहीं, फल में संतरा, चेरी, नाशपाती, सेव व कीली फायदेमंद हैं। सब्जी की बात करें तो डायबिटीज मरीजों के लिए पालक, पटल, करेला, शिमला मिर्च, कच्चा केला व पपीता की सब्जियां काफी लाभदायक होता है।
डायबिटीज में कौन सा व्यायाम करना चाहिए
जिस तरह से हर बीमारी के लिए अलग-अलग दवा होती है उसी तरह व्यायाम भी होता है। योग शिक्षक अरविंद प्रसाद ने बताया कि diabetes मरीजों के लिए चार तरह के योग को चयनित किया गया है। इसमें ताड़ासन, पादहस्तासन, मंडूकासन और वक्रासन शामिल हैं। दरअसल, ये सभी आसन हमारे प्रैंकियाज पर असर डालते हैं और इससे इंसुलिन का उत्पादन ठीक होने लगता है। सभी का अलग-अलग विधि व नियम हैं।
योग करने से पूर्व किसी योग शिक्षक की सलाह जरूर लें। अन्यथा गलत ढंग से करने से यह आपकी परेशानी भी बढ़ा सकती है।