सेंट्रल डेस्कः मंगलवार को राज्यसभा में कांग्रेस नेता के बयान के बाद तीखी बहस छिड़ गई। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा दिए गए बयान पर कड़ी आपत्ति जताई। बीजेपी नेताओं ने खड़गे पर अध्यक्ष के खिलाफ अनुपयुक्त भाषा इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और उनसे माफी की मांग की।
विपक्ष के नेता की भाषा अफसोसजनक है
यह विवाद तब शुरू हुआ जब खड़गे ने कहा कि उनकी पार्टी पूरी तरह से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को जवाबदेह ठहराने के लिए तैयार है। खड़गे के भाषण के दौरान, जब अध्यक्ष ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की, तो खड़गे ने अपनी नाराजगी जाहिर की। इस पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनकी टिप्पणियों की आलोचना करते हुए कहा, “यह बहुत अफसोसजनक है कि विपक्ष के नेता इस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं।”
खडगे ने मांगी माफी
खडगे भाषण के बीच रोके जाने से बेहद नाराज थे। स्थिति और बिगड़ गई, जब खड़गे ने कहा, यह तानाशाही है और कहा कि उन्हें अपना भाषण जारी रखने दिया जाए क्योंकि उन्होंने इसे तैयार किया था। उनका यह बयान बीजेपी सांसदों द्वारा निंदा का कारण बना, जिन्होंने इसे अपमानजनक बताया।
जेपी नड्डा ने अध्यक्ष से खड़गे की टिप्पणियों की निंदा करने का अनुरोध किया और विपक्ष के नेता से औपचारिक माफी की मांग की। बाद में खड़गे ने अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की और कहा, मैं अपनी टिप्पणियों के लिए माफी चाहता हूं… मेरी बात सरकार की नीतियों के खिलाफ थी, अध्यक्ष से नहीं। मैं आपसे माफी मांगता हूं, लेकिन सरकार से नहीं।
इसके बावजूद बीजेपी नेताओं ने उनके भाषा का विरोध जारी रखा और पूरी माफी की मांग की। नड्डा ने फिर कहा, उन्होंने जो भाषा इस्तेमाल की और जो आरोप अध्यक्ष पर लगाए, वह स्वीकार्य नहीं है। उन्हें माफी मांगनी चाहिए।
क्या कहा था खडगे ने
राज्यसभा में यह बहस तब छिड़ी, जब खड़गे ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बयानों के जवाब में “ठोकेंगे” (मारना) शब्द का उपयोग किया। इस टिप्पणी के बाद बीजेपी के सदस्य नाराज हुए और दोनों पक्षों के बीच तीखी वाकयुद्ध शुरू हो गई।