प्रयागराज: पाकिस्तान के कराची से लाए गए 400 मृत सनातनियों की अस्थियों का शनिवार को हरिद्वार के सती घाट पर विधिवत पूजन और दूध की धारा के साथ गंगा में विसर्जन किया गया। यह आयोजन एक अद्वितीय धार्मिक कृत्य था, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों की एक नयी मिसाल पेश की गई।
कराची में अब एक ही सनातनी परिवार बचा
कराची के पंचमुखी हनुमान मंदिर के महंत गुरु रामनाथ मिश्रा ने बताया कि पूरे कराची में अब उनका ही सनातनी परिवार रह गया है। मिश्रा जी के मुताबिक, भारत सरकार को अपने वीजा नियमों को सरल बनाने की आवश्यकता है, ताकि जो सनातनी भारत आना चाहते हैं, वे बिना किसी दिक्कत के धार्मिक कार्यों में भाग ले सकें।
400 अस्थि कलश लेकर पहुंचे रामनाथ मिश्रा
रामनाथ मिश्रा और उनका परिवार कुछ समय पहले पाकिस्तान से 400 अस्थि कलश लेकर भारत पहुंचे थे। यह अस्थियाँ उन मृत सनातनियों की थीं, जिनका हाल ही में पाकिस्तान में अंतिम संस्कार किया गया था। मिश्रा जी अपने परिवार के साथ पहले प्रयागराज महाकुंभ पहुंचे, जहां उन्होंने अस्थियों का तर्पण किया और फिर हरिद्वार पहुंचे।
निगम बोध घाट पर अस्थि कलशों का पूजन
रामनाथ मिश्रा ने बताया कि ये अस्थियाँ उन लोगों की हैं, जो पिछले सात-आठ सालों में कराची में निधन हो गए थे। उन्हें अपने पूर्वजों के तर्पण के लिए भारत आने की इच्छा थी। उन्होंने अपनी पत्नी, बेटे, और अन्य परिवार के सदस्यों के साथ महाकुंभ में धार्मिक कार्य किए। इसके बाद, 21 फरवरी को दिल्ली के संगम जल से निगम बोध घाट पर अस्थि कलशों का पूजन किया और फिर हरिद्वार में गंगा में विसर्जन किया।
पूर्वजों का था प्रयागराज से संबंध
रामनाथ मिश्रा ने बताया कि उनके पूर्वज प्रयागराज के चकिया गांव से थे, लेकिन कई सालों से पाकिस्तान में रहने की वजह से अब वहां किसी से संपर्क नहीं हो पाया है। मिश्रा जी की यह यात्रा एक प्रतीकात्मक संदेश है कि चाहे कोई कितना भी दूर चला जाए, लेकिन उसकी जड़ें और धर्म हमेशा उसके साथ रहते हैं।