Home » The Struggle Of Prakash Jha: काम करने के लिए घर से भागे थे , आज है फिल्म इंडस्ट्री के सफल निर्देशक!

The Struggle Of Prakash Jha: काम करने के लिए घर से भागे थे , आज है फिल्म इंडस्ट्री के सफल निर्देशक!

by Rakesh Pandey
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

मुंबई: फिल्म इंडस्ट्री एक ऐसा क्षेत्र है जो रंग-मंच से लेकर सिल्वर स्क्रीन तक विभिन्न प्रकार की कलाओं का प्रदर्शन करता है और जिसमें अभिनय, निर्माण, और निर्देशन का महत्वपूर्ण स्थान होता है। अपहरण (Apaharan), गंगाजल (Gangaajal) और राजनीति (Raajneeti) जैसी शानदार फिल्में बनाने वाले फिल्म निर्देंशक प्रकाश झा इस वक्त में बॉलीवुड (Bollywood) के बेहतरीन फिल्मकार हैं। प्रकाश झा ने अपनी फिल्मों के जरिए भारतीय राजनीति (Indian Politics) को बहुत ही बेहतर ढंग से पेश किया है। हालांकि इस शानदार फिल्म निर्देशक के बारे में शायद ही ये बात कोई जानता हो कि उन्हें अपने शुरुआती वक्त में काफी कड़ा संघर्ष करना पड़ा था। आइए जानते है प्रकाश झा के बारे में….

प्रकाश झा का जीवन

प्रकाश झा आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। पर एक वक्त था जब वो मुश्किल में जिंदगी बिता रहे थे। वे बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के चनपटिया प्रखंड के बड़हरवा गांव के रहने वाले हैं।

उनका जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था, और उनका बचपन गरीबी में बिता। वे अपने माता-पिता के साथ छोटे से गांव से थे और शिक्षा का संघर्ष करते थे। जीवन की इस संघर्षमय धारा में, वे आपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे और एक नई दिशा का खोज करते रहे।

सपनों को पूरा लाने की चाहत

प्रकाश झा की जीवन की बड़ी मोड़ आई जब उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपना करियर बनाने का निर्णय लिया। इस निर्णय के पीछे उनका मनोबल और पूर्ण समर्पण था। उन्होंने अपने गरीबी के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने का निर्णय लिया और फिल्म इंडस्ट्री की ओर कदम बढ़ाया।

फिल्म इंडस्ट्री में शुरुआत

फिल्म इंडस्ट्री में प्रकाश झा की शुरुआत कठिनाइयों से भरपूर रही। उन्होंने सालों तक असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम किया और फिल्म तक पहुंचने के लिए अपने पूरे दिल से काम किया। इस अवधि में, वे बड़े निर्देशकों से सीखते रहे और अपने कौशल को मेहनत और संघर्ष के साथ मजबूत किया।

डाक्यूमेंट्री से की करियर की शुआत:

प्रकाश झा ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत डॉक्यूमेंट्री अंदर द ब्लू से की। उसके बाद उन्होंने आठ वर्षो के लम्बे अंतराल में कई डॉक्युमेंट्रीज का निर्माण किया। इस दौरान उन्होंने बिहार के दंगों के उपर एक शार्ट फिल्म बनाई, जिसे रिलीज होने के कुछ दिन बाद ही बैन कर दिया गया, लेकिन प्रकाश को उस शार्ट फिल्म के लिए नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया और यहीं से उनके अच्छे दिन शुरू हो गए।

फिल्ममेकर से पहले पेंटर बनने का देखते थे सपना

प्रकाश झा फिल्ममेकर बनने से पहले पेंटर बनने का सपना देखते थे। उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए एक बड़ा संकल्प लिया। वे दिल्ली यूनिवर्सिटी में चल रही बैचलर की पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन जब उन्हें अपने पेंटिंग के प्यार में फिल्म इंडस्ट्री की ओर रुख मोड़ने का मौका मिला, तो उन्होंने अपने एक नए सफर की शुरुआत की।

READ ALSO : जवान ने बॉक्स ऑफिस पर रचा इतिहास! 2 दिन में कमा डाले 200 करोड़! जानें अबतक कितनी की है कमाई?

पैसों की बड़ी चुनौती, पिता ने पांच साल तक नहीं की बात:

प्रकाश झा के लिए उस समय पैसों की कमी बहुत बड़ी चुनौती थी। उनके पिता उनसे नाराज थे और पांच साल तक उनसे बात नहीं की। उन दिनों उनके पास सिर्फ 300 रुपये थे, और इस रकम के साथ वह अपने सपने को पूरा करने के लिए निकल पड़े।

उन्होंने ऐसे समय में कई बार भूखा रहना और जीवन की कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने रातें फुटपाथ पर बिताई और कई संघर्षों का सामना किया, लेकिन वे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहे और अपने हुनर को निखारते गए।

Related Articles