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वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती, हिंदू अधिकारों के वकील ने दाखिल की जनहित याचिका

हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन राम जन्मभूमि विवाद, ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर, और कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह (मथुरा) मामले में हिंदू पक्ष की ओर से अग्रणी भूमिका निभा चुके हैं।

by Reeta Rai Sagar
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नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को वरिष्ठ अधिवक्ता एवं हिंदू अधिकार कार्यकर्ता हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की कई धाराओं को संविधान के विरुद्ध बताते हुए चुनौती दी है। यह जनहित याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दाखिल की गई है, जिसमें वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन कर जोड़े गए प्रावधानों को असंवैधानिक करार देने की मांग की गई है।

याचिकाकर्ताओं ने वक्फ अधिनियम की धारा 3(r), 4, 5, 6(1), 7(1), 8, 28, 29, 33, 36, 41, 52, 83, 85, 89, और 101 को संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 27 और 300A का उल्लंघन बताया है। याचिका में कहा गया है कि ये प्रावधान मुस्लिम समुदाय को विशेष लाभ प्रदान करते हैं, जिससे वे सरकारी भूमि, ग्राम समाज की भूमि और हिंदू धार्मिक स्थलों की भूमि को अवैध रूप से वक्फ संपत्ति घोषित कर कब्जा कर रहे हैं।

Waqf Act 2025 पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती: याचिका के मुख्य बिंदु
याचिका में कहा गया है कि संशोधित वक्फ अधिनियम मुस्लिम समुदाय को अनुचित लाभ देता है और इससे समाज में असंतुलन और धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा मिल रहा है। याचिका में निम्नलिखित प्रमुख प्रार्थनाएं की गई हैं:

  1. अवैध वक्फ संपत्तियों की पहचान की मांग
    याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि केंद्र और राज्य सरकारें धारा 3C के अंतर्गत ऐसी सभी संपत्तियों की पहचान करें जो व्यक्तिगत या हिंदू धार्मिक स्वामित्व में होते हुए भी अवैध रूप से वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज की गई हैं।
  2. राजस्व अभिलेखों में दर्ज शमलात और अन्य संपत्तियों की पुनर्प्राप्ति
    सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वे शमलात देह, शमलात पट्टी और जुमला मल्कान जैसी संपत्तियों को, जो वक्फ बोर्ड के नाम स्थानांतरित की गई हैं, उन्हें वापस ले।
  3. हिंदू समुदाय को वक्फ कार्यवाही से बाहर रखने की मांग
    याचिका में अनुरोध किया गया है कि वक्फ अधिनियम की धाराओं 4 और 5 के अंतर्गत होने वाली किसी भी कार्यवाही का हिंदू/गैर-मुस्लिम समुदाय पर कोई प्रभाव न हो और उन्हें ‘पीड़ित पक्ष’ की परिभाषा से बाहर रखा जाए।
  4. दीवानी अदालत में अपील का अधिकार सुनिश्चित करने की मांग
    याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि हिंदू या गैर-इस्लामिक समुदाय के सदस्यों को वक्फ अधिनियम के अंतर्गत लिए गए किसी भी निर्णय के विरुद्ध दीवानी अदालत में जाने का अधिकार प्राप्त हो और धारा 83/85 उन्हें प्रभावित न करे।
    राम जन्मभूमि, काशी और मथुरा मामलों में भी अग्रणी रहे जैन पिता-पुत्र
    गौरतलब है कि हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन राम जन्मभूमि विवाद, ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर, और कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह (मथुरा) मामले में हिंदू पक्ष की ओर से अग्रणी भूमिका निभा चुके हैं। वे वक्फ अधिनियम के जरिए सार्वजनिक संपत्तियों और धार्मिक स्थलों के ‘कब्जे’ को लेकर लंबे समय से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

संविधान के प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप
याचिका में आरोप लगाया गया है कि वक्फ अधिनियम मुस्लिम समुदाय को न केवल संपत्ति पर नियंत्रण की शक्ति देता है, बल्कि इससे सरकारी और सार्वजनिक संपत्तियों पर भी उनका नियंत्रण स्थापित हो गया है। यह स्थिति अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 15 (धार्मिक भेदभाव निषेध), 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार), 25-27 (धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित अधिकार) और 300A (संपत्ति का अधिकार) का सीधा उल्लंघन है।

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