बोकारो: बोकारो से कांग्रेस विधायक श्वेता सिंह (Bokaro MLA Shweta Singh) इस समय विवादों में घिर गई हैं। वजह है उनके नाम पर दो अलग-अलग पैन कार्ड (PAN Card) का होना। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन दोनों पैन कार्ड्स में जन्मतिथि तो समान है, लेकिन पिता के नाम और नाम की वर्तनी (Spelling) में बड़ा फर्क है, जिससे कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
दो पैन कार्ड, दो पिता के नाम
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, श्वेता सिंह के नाम पर बना एक पैन कार्ड रामगढ़ से जारी हुआ है, जबकि दूसरा गुरुग्राम से।
• रामगढ़ से बने पैन कार्ड में उनके पिता का नाम संग्राम सिंह दर्ज है।
• वहीं गुरुग्राम से बने पैन कार्ड में पिता का नाम दिनेश कुमार सिंह लिखा गया है।
अब चौंकाने वाली बात ये है कि श्वेता सिंह ने अपने चुनावी हलफनामे में पति के नाम के तौर पर संग्राम सिंह का उल्लेख किया है। ऐसे में रामगढ़ वाले पैन कार्ड में ‘पिता’ के नाम के स्थान पर पति का नाम दर्ज होना संदेह को जन्म देता है।
एक ही जन्मतिथि, लेकिन नाम में अंतर
श्वेता सिंह के दोनों पैन कार्ड्स में जन्मतिथि 19 जून 1984 ही दर्ज है।
• एक कार्ड में नाम SHWETA SINGH लिखा है,
• जबकि दूसरे में SHWETTAA SINGH
यह अंतर यह सवाल उठाता है कि क्या जानबूझकर दो पैन कार्ड बनवाए गए हैं, या फिर ये किसी तकनीकी गलती का परिणाम है।
पैन कार्ड में पिता का नाम अनिवार्य होता है
गौरतलब है कि आयकर विभाग के नियमों के अनुसार, पैन कार्ड में हमेशा पिता का नाम ही अनिवार्य होता है। पैन फॉर्म में कहीं भी पति के नाम का कॉलम नहीं होता। ऐसे में रामगढ़ वाले पैन कार्ड में पति का नाम ‘पिता’ के कॉलम में कैसे आया, ये गंभीर सवाल खड़ा करता है।
पति संग्राम सिंह ने दी सफाई
विधायक श्वेता सिंह इस समय बीमार हैं और बेंगलुरु में इलाजरत हैं। उनकी अनुपस्थिति में उनके पति संग्राम सिंह ने मामले पर सफाई दी है। उनका कहना है कि, “श्वेता सिंह के नाम से केवल एक ही पैन कार्ड है, जिसमें गलती से पिता की जगह पति का नाम दर्ज हो गया है। पहले इस तरह की गलतियां हो जाती थीं। जल्द ही इसे ठीक करा लिया जाएगा। श्वेता सिंह के पिता का सही नाम दिनेश सिंह है।”
संग्राम सिंह ने यह भी कहा कि विधायक ने कभी भी किसी दूसरे पैन कार्ड का उपयोग नहीं किया है। हर जगह झारखंड वाला (रामगढ़ से बना) पैन कार्ड ही इस्तेमाल हुआ है।
कानूनी और नैतिक प्रश्न भी खड़े करता है पैन कार्ड
विधायक श्वेता सिंह का दो पैन कार्ड होना और उनमें अलग-अलग नाम होना, न केवल तकनीकी त्रुटि का मामला हो सकता है, बल्कि यह कानूनी और नैतिक प्रश्न भी खड़े करता है। अब देखना ये है कि आयकर विभाग इस पर क्या कार्रवाई करता है और क्या यह मामला सिर्फ ‘एक गलती’ बनकर रह जाता है या आगे जांच का विषय बनता है।
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