एजुकेशन डेस्क : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने रैगिंग पर कड़ी कार्रवाई का एलान किया है और उच्च शिक्षण संस्थानों के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की है। शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए जारी किए गए दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि यदि संस्थान में रैगिंग की घटना होती है, तो कुलपति, निदेशक और रजिस्ट्रार के खिलाफ यूजीसी के नियमों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
विद्यार्थियों से लिया जाएगा हलफनामा
नई गाइडलाइंस के अनुसार, अब सभी विद्यार्थियों से ऑनलाइन प्रवेश आवेदन के साथ एक हलफनामा लिया जाएगा, जिसमें वे यह वादा करेंगे कि वे किसी भी प्रकार की रैगिंग में शामिल नहीं होंगे। चूंकि अधिकांश दाखिले अब ऑनलाइन होते हैं, छात्रों को हर साल शपथपत्र देना होगा, जिसमें उनका पंजीकरण नंबर भी होगा। ये दिशा-निर्देश आईआईटी, एनआईटी, मेडिकल कॉलेजों, इंजीनियरिंग और प्रबंधन संस्थानों सहित सभी उच्च शिक्षण संस्थानों पर लागू होंगे।
झूठी जानकारी देने पर संस्थान को मिलेगी गंभीर सजा
इसके अलावा, यदि कोई संस्थान झूठी जानकारी प्रदान करता है तो उसे गंभीर सजा मिल सकती है, जैसे कि उसकी मान्यता रद्द करना, जुर्माना लगाना या कोर्स की मंजूरी वापस लेना। अगर कैंपस में आत्महत्या या हत्या जैसी घटना होती है, तो इसके लिए एक विशेष समिति बनाई जाएगी, जो अपनी रिपोर्ट यूजीसी को सौंपेगी। यदि पुलिस जांच होती है, तो कानूनी सलाहकार को भी शामिल किया जाएगा।
2022 से 2024 रैगिंग से 51 छात्रों की जा चुकी जान
यूजीसी ने यह भी साफ किया कि परिसर में रैगिंग या ऐसी कोई भी असामान्य घटना किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी संस्थानों को एंटी-रैगिंग कमेटी बनानी होगी और परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे। 2022 से 2024 तक देशभर में रैगिंग के कारण 51 छात्रों की जान जा चुकी है, जिनमें सबसे अधिक मेडिकल कॉलेजों से हैं। मेडिकल कॉलेजों से 38.6% शिकायतें और 45.1% मौतें सामने आई हैं, जबकि मेडिकल छात्रों की संख्या देश में महज 1.1% है।
Read Also: Bihar Board 12th Result 2025 : बिहार बोर्ड 12वीं का रिजल्ट आज, सबसे पहले यहां देखें