लखनऊ : समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के भाई प्रतीक यादव से चार करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने और पॉक्सो एक्ट में फंसाने की धमकी देने का मामला सामने आया है। इस मामले में प्रतीक ने रियल एस्टेट कारोबारी कृष्णानंद पांडेय, उनकी पत्नी वंदना पांडेय और पिता अशोक पांडेय के खिलाफ गौतमपल्ली थाने में एफआईआर दर्ज कराई है।
प्रतीक यादव का आरोप है कि आरोपियों ने उन्हें व्यवसाय में निवेश के नाम पर लाखों रुपये से ठगा और जब उन्होंने पैसे वापस मांगे तो उन्हें गंभीर कानूनी मामलों में फंसाने की धमकी दी गई। साथ ही, एक फर्जी ऑडियो वायरल करने और छवि खराब करने की साजिश भी रची गई।
कैसे हुई शुरुआत?
प्रतीक यादव ने बताया कि वर्ष 2011-12 में उनकी मुलाकात कृष्णानंद पांडेय से हुई थी, जो खुद को रियल एस्टेट कारोबारी बताते थे। करीब दो साल की दोस्ती के बाद उन्होंने 25 मई 2015 को एक कंपनी बनाई, जिसमें प्रतीक प्रमोटर बने और कृष्णानंद निदेशक।
आरोप है कि कृष्णानंद ने आर्थिक परेशानियों का हवाला देकर कई बार पैसे लिए और प्रतीक ने सहानुभूति दिखाते हुए उन्हें उधार दिया।
बीमारी के दौरान रची गई साजिश
साल 2020 में प्रतीक यादव कोविड संक्रमण के चलते बीमार हुए। इसी दौरान परिवार में कई मौतें हुईं, जिससे वे मानसिक तनाव में आ गए। इसका फायदा उठाकर कृष्णानंद, उनकी पत्नी और पिता ने फिर से पैसे मांगने की कोशिश की। प्रतीक का इलाज मेदांता अस्पताल में चल रहा था, इसी बीच धमकी भरे ईमेल और वॉट्सऐप मैसेज आने लगे।
पॉक्सो एक्ट और फर्जी ऑडियो की धमकी
प्रतीक यादव ने शिकायत में बताया कि जब उन्होंने पैसों का हिसाब मांगा, तो आरोपी टालमटोल करने लगे। बाद में पॉक्सो एक्ट जैसे गंभीर मामलों में फंसाने, और फर्जी ऑडियो वायरल करके सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी गई।
फोन और ईमेल के जरिए उनसे चार करोड़ रुपये की रंगदारी भी मांगी गई। यह पूरी साजिश एक योजनाबद्ध तरीके से रची गई, जिसमें पूरा परिवार शामिल था।
गौतमपल्ली थाने के इंस्पेक्टर पंकज कुमार ने बताया कि रविवार को एफआईआर दर्ज कर ली गई है। जल्द ही आरोपियों से पूछताछ कर जांच आगे बढ़ाई जाएगी।
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