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कोरोना की तरह स्‍क्रब टाइफस का लक्षण, ओडिशा में पांच की मौत, अलर्ट मोड पर सरकार

by Rakesh Pandey
कोरोना की तरह स्‍क्रब टाइफस का लक्षण
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हेल्थ डेस्क, ओडिशा : आपको सावधान होने की जरूरत है। ओडिशा में स्‍क्रब टाइफस नामक बीमारी तेजी से पांव पसार रहा है जिसके लक्षण कोरोना से मिलता-जुलता है। चिंता का विषय यह भी है कि इस बीमारी से अभी तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है। वह भी मात्र 30 दिनों के अंदर। ऐसे में पूरे ओडिशा में हड़कंप मचा हुआ है और सरकार भी अलर्ट मोड पर है।

कोरोना की तरह स्‍क्रब टाइफस का लक्षण

इस बीमारी को लेकर ओडिशा के जनस्वास्थ्य निदेशक डॉ. निरंजन मिश्रा ने विशेष दिशा-निर्देश जारी किया है। उन्होंने राज्य के सभी सीडीएमओ, अस्पताल निदेशकों और डीपीएचएल को इसपर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया है। ताकि मरीजों की बढ़ती संख्या पर कंट्रोल किया जा सकें।
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छह साल पूर्व केरल व यूपी में कहर बरपा चुका है स्‍क्रब टाइफस
स्‍क्रब टाइफस छह साल पूर्व केरल व उत्तर प्रदेश में कहर बरपा चुका है। इसलिए इससे होने वाले नुकसानों से अधिकारी पूरी तरह से परिचित हैं। बीमारी लोगों को ज्यादा प्रभावित नहीं करें इससे बचाव को सरकार हर सख्त कदम उठा रही हैं। वर्ष 2015 से 2017 के बीच इस संक्रमण के कुल 1239 मामले सामने आए थे। सबसे ज्यादा वर्ष 2016 में इस बीमारी का कहर देखा गया। हालांकि, समय के साथ मौत में कमी आते गई। वर्ष 2015 में स्‍क्रब टाइफस से मृत्यु दर 5.7 प्रतिशत था, जो 2017 में घटकर 1.1 हो गई।
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स्‍क्रब टाइफस से पश्चिम ओडिशा के चार जिला प्रभावित

खासकर पश्चिम ओडिशा में स्‍क्रब टाइफस तेजी से फैल रही है। इसके चार जिलों में सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। इसमें झारसुगुड़ा, सुंदरगढ़, संबलपुर व बरगढ़ शामिल हैं। तेजी से बढ़ रहे बीमारी को देखते हुए दूसरे जिलों को भी अलर्ट किया गया है।
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क्या है स्‍क्रब टाइफस

झारखंड के जाने-माने फिजिशियन डॉ. आरएल अग्रवाल कहते हैं कि स्‍क्रब टाइफस को लेकर सभी को सावधान होने की जरूरत है। इससे पूर्व भी यह बीमारी कई
राज्यों में कहर बरपा चुका है। उन्होंने कहा कि स्क्रब टाइफस को बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता है। यह एक संक्रमित बीमारी है जो ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। वहीं, यह बीमारी संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से लोगों में फैलता है।
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कोरोना से मिलता-जुलता है स्‍क्रब टाइफस का लक्षण

डा. आरएल अग्रवाल कहते हैं कि यह कोई नई बीमारी नहीं है। इसका लक्षण कोरोना से मिलता-जुलता है। इसमें खांसी, सिरदर्द, शरीर में कमजोरी, सांस फूलना, बुखार सहित अन्य शामिल हैं। इसके अलावा इससे संबंधित मरीजों में उल्टी होना, शरीर पर सूखे चकते होना, फेफड़े व लीवर पर भी असर दिखता है। इस परिस्थिति में मरीज को तत्काल चिकित्सक से संपर्क करने की सलाह दी जाती है।
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चूहे से फैलती है यह बीमारी

डॉ. आरएल अग्रवाल ने बताया कि स्‍क्रब टाइफस कीट के कारण होती है, जिसका प्राथमिक वाहक चूहे हैं। अगर कीटाणु चूहे को काटने के बाद मानव को काटता है, तो फिर उसे स्क्रब टाइफस होने का खतरा अधिक रहता है। इसलिए लोगों को अधिक सतर्क होने की जरूरत है। अगर किसी के घर में चूहा हैं तो उसे भगाने का इंतजाम करना चाहिए।
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दो से तीन सप्ताह तक रहता है बुखार

डॉ. आरएल अग्रवाल ने कहा कि इस बीमारी में सामान्य लक्षण बुखार होता है। यह बुखार जल्दी उतरता नहीं है। दो से तीन सप्ताह तक रहता है जो ज्यादा खतरनाक है। इस दौरान इलाज में विशेष सतर्क रहने की जरूरत होती है। कई बार मरीजों को ज्यादा डोज का एंटीबायोटिक दे दिया जाता है जो आगे चलकर उनको नुकसान पहुंचाता है। उम्र के हिसाब से मरीजों को डोज तय किया जाता है।
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झारखंड में भी सतर्कता बढ़ी

बढ़ते बीमारी को देखते हुए झारखंड राज्य में भी सतर्कता बढ़ाई गई है। चूंकि, यहां हर राज्य से लोगों को आना-जाना अधिक रहता है। इसलिए यहां संक्रमण बीमारियां फैलने का खतरा अधिक रहता है।

क्या है स्क्रब टायफस जानें कैसे लोगों को मौत की नींद सुला रहा है ये कीड़ा..

संक्रमण को बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता हैं

देश के डॉक्टरो के अनुसार यह संक्रमण संक्रमित चिंगर्स के काटने से फैलता है। इस संक्रमण को बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता है। इस संक्रमण का अगर समय से इलाज न हुआ तो लोगों की जान का खतरा हो सकता है। इसके संक्रमण से दिमाग, लिवर व फेफड़े में संक्रमण फैलने का खतरा होता है। यह संक्रमण बहुत हद तक डेंगू की तरह होता हैं यह भी प्लेटलेट्स को कम कर देता है जिस वजह से संक्रमण तेजी से बढ़ता है।

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केरल में बना था मौत का कारण, यूपी भी चपेट में

केरल मे ये संक्रमण तेजी से फैला था जिस वजह से वहा बहुत लोगो कि मृत्यु हुई व कई लोग अस्पताल में भर्ती रहें।
यह यूपी मे भी अपनी कहर बरपा चुकी है। 2015 से 2017 तक इस संक्रमण के 1239 मामले सामने आये थे। जिस में 2016 में 831 मामले सामने आएI 2015 मृत्यु दर 5.7% थी जो 2017 मे घट के 1.1% हो गई थी।

संक्रमण के लक्षण

• खांसी, सिरदर्द, शरीर में कमजोरी।
• उल्टी होना, सांस फूलना, बुखार।
• शरीर पर सूखे चकते होना।
• इस बीमारी में किडनी पर भी असर होता है। कई बार किडनी ठीक से काम नहीं करती इससे मरीज बेहोशी की हालत में आ जाता है।
• इसका प्रभाव फेफड़े और लिवर पर भी पड़ता है।
इस संक्रमण में बुखार 2-3 सप्ताह तक रहता है।

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संक्रमण के लक्षणों के आधार पर होती हैं जांच

इसके लिए कुछ एंटीबायोटिक दवायें दी जाती है। मरीज के उम्र के हिसाब से इसका डोज अलग अलग होता है। इस संक्रमण से बचाव के लिए अभी तक कोई भी टीका उपलब्ध नहीं है। इससे बचने के लिए खुद ही बचाव रखना सबसे सुरक्षित है ।

जंगल झाड़ वाले इलाके में न जाए । यदि कोई कीड़ा काट ले तो तुरंत साफ पानी से उस जगह के धोए व वहां पर एंटीबायोटिक क्रीम लगाए या डॉक्टर से संपर्क करे।

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