स्पेशल डेस्क। मान्यता के अनुसार, भाई दूज एक हिन्दू त्योहार है जो भारत में प्रस्तावित होता है। यह त्योहार भाई-बहन के रिश्तों को मजबूती और प्रेम के साथ जोड़ता है। यह त्योहार बहनों और भाइयों के बीच प्रेम और स्नेह का प्रतीक होता है। यह दो दिनों के त्योहार का हिस्सा है, जिसे शुक्ल पक्ष की द्वितीया और तृतीया तिथियों पर मनाया जाता है।
दीपावली के दो दिन बाद, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर, भाई दूज का उत्सव मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर रोली, चंदन और अक्षत लगाती हैं और उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
भाई दूज का महत्व व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर उच्च होता है। यह दोनों भाइयों और बहनों के बीच एक विशेष संबंध को नकारता है। भाई दूज के मौके पर, बहन अपने भाई के लिए पूजा करती है और उनकी लंबी उम्र की कामना करती है। भाई भी बहन को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा की प्रतिज्ञा करते हैं।
भाई दूज का महत्व
भारतीय संस्कृति में, यह त्योहार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई की लंबी और खुशहाल जीवन की कामना करती है। धार्मिक दृष्टिकोण से, भाई दूज हिंदू धर्म के अनुसार एक प्रमुख पर्व है जो भारत में बहनों के लिए बहुत अधिक मान्यता रखता है। इस दिन भाई अपनी बहन के प्रति अपने समर्पण और स्नेह को प्रकट करते हैं। इस पर्व के माध्यम से, भारतीय संस्कृति में परिवार के महत्व को और अधिक महसूस किया जाता है, और रिश्तों में प्रेम और सम्मान को उत्कृष्टता से जोड़ा जाता है। भाई दूज एक हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है जो हरितकालीन संस्कृति और परंपराओं को महत्ता देता है। इस त्योहार का महत्व हिन्दू समुदाय में बहुत अधिक होता है। भाई दूज भाई-बहन के आदर्श संबंधों को स्थायी करने के लिए एक आदर्श पर्व है।
धार्मिक महत्व
हिन्दू धर्म के अनुसार भाई दूज का धार्मिक महत्व है, जो परिवार के महत्वपूर्ण संबंधों का मानवीय और धार्मिक महत्व बताता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं और भाइयों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं। भाई दूज भाई-बहन के प्रेम और संबंधों को मान्यताओं के साथ जोड़ता है।
भाईदूज क्यों मनाया जाता है
दरअसल, इस त्योहार के पीछे एक पौराणिक कथा भी छिपी है। कथा के अनुसार सूर्य की पत्नी संज्ञा की 2 संताने थी, पुत्र यमराज व पुत्री यमुना। यमुना अपने भाई को बार-बार अपने घर बुलाती थी। बहन के बुलाने पर यमराज यमद्वितीया के दिन धरती पर अपनी बहन यमुना से मिलने उनके घर आये थे। भाई से मिल कर यमुना बहुत प्रसन्न हुई, उनका तिलक लगाकर स्वागत किया व बहुत ही प्रेम से भोजन कराया। यमराज ने खुश होकर यमुना से वरदान मांगने को कहा तक यमुना ने कहा कि आप हर साल इसी दिन मेरे घर आना। इसी कारण तब से इस दिन भाईदूज मनाया जाने लगा।
इस साल कब है मूहर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार, भाई दूज की पूजा का शुभ मुहूर्त 14 नवंबर 2023 को दोपहर 01:10 बजे से दोपहर 03:19 बजे तक है। ज्योतिष के अनुसार हिंदू धर्म में उदय तिथि का बहुत बड़ा महत्व होता है, इसी कारण कई लोग उदयातिथि के अनुसार, भाई दूज पर्व 15 नवंबर को भी मनाया जा सकता है.
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