नई दिल्ली : हिंदू धर्म में पितृ पक्ष एक अलग ही बहुत महत्व है। यह 15 दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान लोग पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए तर्पण और उनके नाम पर पिंडदान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर आपके के घर में कोई शुभ काम हुआ है या किसी की शादी हुई है तो आप उस वर्ष पितृ पक्ष नहीं माना सकते हैं।
कब से शुरु हो रहा है पितृ पक्ष
इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 18 सितंबर 2024 से होगी जो कि 2 अक्तूबर 2024 तक चलेगा। इस दौरान बहुत सारे काम करने की मनाही रहती है।
पितृ पक्ष में क्या करें
पितृ- पक्ष के दौरान कौवे, कुत्ते और गाय को रोटियां खिलायी जाती है। जो लोग पितृ- पक्ष मनाते हैं, वे सुबह में नदी, तालाब या सरोवर पर जाते हैं और वहीं, स्नान करके अपने पितरों का तर्पण करते हैं। इसके साथ ही अपने पितरों की तिथी पर पिंडदान भी करते हैं। इस समय में ब्रह्मचर्या का पालन करना चाहिए। इस समय में जरूरतमंदो को अन्न और वस्त्र का दान करना चाहिए।
न करें यह काम
पितृ- पक्ष के दौरान सोना- चांदी या नये वस्त्र नहीं खरीदना चाहिए। इस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं कर सकते हैं। तामसिक भोजन न ग्रहण करें । आगर आप इन दौरान नॉन वेज भोजन करते हैं तो आपके पितर नाराज हो जाएंगे। आगर ये किसी कराणवश नाराज हो गये तो आपको हर काम में बाधा उत्पन्न होगी। इसके साथ यह भी विद्वानों का मानना है कि अगर देवता नाराज हो जाते हैं, तो उन्हें थोड़े ही पूजा-पाठ करके मना सकते हैं लेकन पितर नाराज हो गए तो ये जल्द नहीं मानते हैं। इसके कारण लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी में अक्सर वे परेशान ही रहते हैं।
पितृ पक्ष में क्यों किया जाता है तर्पण
पितृपक्ष में तर्पण हरिद्वार, प्रयागराज, बनारस या गाया में जाकर कर तर्पण या पिंड दान कर सकते हैं । माना गया है कि इन 15 दिनों तक तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। तर्पण हमेशा अंगूठे से किया जाता है।
तिल, चावल और जौ से पितरों का कर सकते हैं श्राद्ध
धार्मिक मान्यता है कि पितरों को पिंडदान करने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गरुड़ पुरान के अनुसार पितृपक्ष के समय तीन पीढ़ियों के पूर्वज स्वर्ग और पृथ्वी लोक के बीच पितृलोक में रहते हैं। इस समय अगर आप पितरों का श्राद्ध करेंगे तो उन्हें मुक्ति मिल जाति है और वो स्वर्ग लोक चले जाते हैं।
सूर्य व शनि का केंद्र योग होने से पितरों की पूजा अनिवार्य
यम स्मृति व धर्म ग्रंथों की मान्यता से देखें, साथ ही भारतीय ज्योतिष शास्त्र की गणना से देखें तो सूर्य परम कारक ग्रह बताए जाते हैं। आदित्य लोक की गणना और कथानक पुराणों में प्राप्त होते हैं। वहीं शनि का संबंध यम से माना जाता है।
स्त्रियों को भी हैं पिंडदान का अधिकार
यदि परिवार में कोई पुरुष सदस्य नहीं है तो ऐसी स्थिति में स्त्री भी संकल्प लेकर श्राद्ध कर सकती है। शास्त्रों ने इसके लिए कुछ नियम बताए हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार, समय से श्राद्ध करने से कुल में कोई दुखी नहीं रहता। पितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, श्री, पशु, सुख और धन-धान्य प्राप्त करता है।
पितृपक्ष में न खरीदें ये चीजें, वरना नाराज होंगे पितृ
पितृपक्ष के दौरान भूल से भी लोहे का सामान नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष में लोहे का सामान खरीदने से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है। जिस कारण व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।