सेंट्रल डेस्कः कांग्रेस अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के खिलाफ नेतृत्व करने के लिए केरल में नए प्रमुख की तलाश में जुटा है। खबर है कि गुटबाजी से ग्रस्त कांग्रेस अपनी केरल इकाई के लिए नए चेहरे की तलाश में है।
केरल प्रभारी ने की पदाधिकारियों से मुलाकात
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की महासचिव और केरल प्रभारी दीपा दासमुंशी ने राज्य के वरिष्ठ नेताओं और प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के पदाधिकारियों से मुलाकात कर उनकी प्राथमिकताओं का आकलन किया है। हाल ही में अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान, दासमुंशी ने विधायकों के साथ व्यक्तिगत रूप से चर्चा भी की। वह और एआईसीसी सचिव पीवी मोहन राज्य में प्रस्तावित नेतृत्व पुनर्गठन पर कांग्रेस आलाकमान को एक रिपोर्ट पेश करेंगे।
बता दें कि केरल में कांग्रेस का अंदरूनी कलह का इतिहास रहा है। निवर्तमान पीसीसी अध्यक्ष के. सुधाकरन, जिन्होंने विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद जून 2021 में मुल्लापल्ली रामचंद्रन की जगह ली थी, का विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन के साथ टकराव चल रहा है।
छह नेताओं के नाम सुझाए गए
इसी को देखते हुए ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि कर्नाटक और तेलंगाना चुनावों में कांग्रेस की जीत में मदद करने वाले चुनावी रणनीतिकार सुनील कानुगोलू ने एक आकलन किया है, जिसमें उन्होंने सुधाकरन के संभावित विकल्प के तौर पर छह नेताओं के नाम सुझाए है। खबर है कि उनकी लिस्ट में लोकसभा सांसद एंटो एंटनी, कोडिकुन्नील सुरेश, अडूर प्रकाश और बेनी बहनान, और विधायक सनी जोसेफ और रोजी एम जॉन के नाम शामिल हैं।
लिस्ट में एक भी मुस्लिम शॉर्टलिस्ट नहीं
कानुगोलू की सूची के बाद से कहा जा रहा है कि किसी भी मुस्लिम नेता का नाम शॉर्टलिस्ट नहीं किया गया है। लेकिन, दासमुंशी ने ऐसी सभी रिपोर्टों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया। कांग्रेस केरल में 34 लाख लोगों की सदस्यता का दावा करती है, जहां 26 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। 140 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी के 21 विधायक हैं। 2021 में, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने 39.47 प्रतिशत का वोट-शेयर हासिल किया था।
कांग्रेस को हो सकता है फायदा
यूडीएफ ने पिछले साल लोकसभा चुनावों में भारी जीत हासिल की। 20 में से 18 सीटें और करीब 44 प्रतिशत वोट जीते, इसका मतलब यह है कि 2026 में विधानसभा चुनाव की जीत पूरी तरह से एक अलग लड़ाई होगी। तिरुवनंतपुरम के एक अनुभवी राजनीतिक विश्लेषक सनीकुट्टी अब्राहम का मानना है कि , ‘अगर कांग्रेस चुनाव में युद्धरत तरीके से काम करती है तो केरल में राजनीतिक स्थिति कांग्रेस के लिए फायदेमंद हो सकती है।
हालांकि, पार्टी के नेता और उनके व्यक्तिगत एजेंडे यह सब खराब कर सकते हैं। केरल पीसीसी के महासचिव बीए अब्दुल मुतालिब ने कैडर को फिर से सक्रिय करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा, यह भ्रष्ट पिनराई विजयन सरकार से मुकाबला करने का समय है। लेकिन दुर्भाग्य से हमारे नेता अपने फायदे के लिए एक-दूसरे से लड़ रहे हैं।