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शादी के बाद पहली होली ससुराल में न मनाने की क्यों हैं प्रथा: जानिए वजहें और मान्यताएं

शादी के बाद अक्सर बहू को ससुराल में कई तरह के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। उसकी कुछ मर्यादाएं होती हैं जिन्हें उसे सम्मान देना होता है। ऐसे में अपने पति के साथ होली खेलना और रंगों से खेलने का अवसर ससुराल में सभी के सामने असहज हो सकता है।

by Anurag Ranjan
शादी के बाद पहली होली ससुराल में न मनाने की क्यों हैं प्रथा: जानिए वजहें और मान्यताएं
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सेंट्रल डेस्क : होली का त्योहार भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। रंगों और खुशियों का यह पर्व हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो हर साल फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस बार होली 14 मार्च को मनाई जाएगी। यह त्योहार हर किसी के लिए खास होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि शादी के बाद पहली होली ससुराल में नहीं मनाई जाती है? यह प्रथा खासकर उत्तर भारत में बहुत प्रचलित है, जहां शादी के बाद बहू को पहली होली के मौके पर मायके भेज दिया जाता है। इस परंपरा के पीछे कई धार्मिक और सामाजिक कारण हैं, जिनके बारे में हम यहां विस्तार से बताएंगे।

ससुराल में पहली होली न मनाने की मान्यता

शादी के बाद ससुराल में पहली होली न मनाने के पीछे कई मान्यताएं और धारणाएं हैं। इनमें से एक प्रमुख मान्यता यह है कि यदि बहू अपनी पहली होली ससुराल में मनाती है, तो यह अशुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस से घर में कलह और झगड़े की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। विशेष रूप से उत्तर भारत में यह परंपरा काफी प्रचलित है, जहां शादी के बाद बहू को मायके भेज दिया जाता है ताकि यह नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

सास-बहू के रिश्ते में तनाव से बचने के लिए

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि शादी के बाद सास और बहू एक साथ होलिका दहन देखती हैं, तो इससे उनके रिश्तों में खटास आ सकती है। इससे दोनों के बीच तनाव और झगड़े की संभावना रहती है। इसलिए, शादी के बाद पहली होली पर बहू को मायके भेजने की परंपरा का पालन किया जाता है, ताकि सास-बहू के रिश्ते में स्नेह बना रहे और टकराव की स्थिति न बने।

परिवारिक कलह से बचने के लिए

इसके अलावा एक और मान्यता है कि शादी के बाद यदि बहू पहली होली ससुराल में मनाती है, तो इससे घर में कलह और आपसी मतभेद बढ़ सकते हैं। परिवार में शांति और सामंजस्य बनाए रखने के लिए इस प्रथा को अपनाया जाता है। इस परंपरा का उद्देश्य परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सहयोग को बनाए रखना है।

सामाजिक कारण

शादी के बाद अक्सर बहू को ससुराल में कई तरह के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। उसकी कुछ मर्यादाएं होती हैं जिन्हें उसे सम्मान देना होता है। ऐसे में अपने पति के साथ होली खेलना और रंगों से खेलने का अवसर ससुराल में सभी के सामने असहज हो सकता है। इसलिए, पहली होली के समय उसे मायके भेजा जाता है, जहां वह आराम से और बिना किसी दबाव के होली का आनंद ले सकती है। इस दौरान वह अपने परिवार के साथ खुशी से होली मनाती है और फिर ससुराल में जाकर रिश्तों में सहजता से बनी रहती है।

पारिवारिक स्नेह और प्रेम बढ़ाने के लिए

इसी के साथ यह भी माना जाता है कि अगर लड़का अपनी पत्नी के साथ होली ससुराल में मनाता है, तो इससे रिश्ते में प्यार और सामंजस्य बढ़ता है। इस समय पति-पत्नी के रिश्ते में और अधिक मधुरता आती है। यह भी एक कारण हो सकता है कि पहली होली ससुराल में न मनाकर, बहू को मायके भेजा जाता है ताकि परिवार में सामंजस्य बना रहे।

इस तरह, शादी के बाद पहली होली ससुराल में न मनाने की यह परंपरा सिर्फ एक धार्मिक या सामाजिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह रिश्तों में प्यार और शांति बनाए रखने का एक तरीका भी है। इससे परिवारों में संबंधों में खटास आने की संभावना कम होती है और एक सकारात्मक माहौल बना रहता है

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