पॉलिटिकल डेस्क। केंद्र सरकार ने संसद से शीतकालीन सत्र पर बड़ा अपडेट जारी किया है। इसके तहत सत्र के शुरू होने की तारीख बताई गई है। संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि संसद का शीतकालीन सत्र 4 दिसंबर से शुरू हो जाएगा। खास बात यह है कि 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों से पहले सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है।
चार दिसंबर से 22 दिसंबर तक संसद का शीतकालीन सत्र
प्रहलाद जोशी ने एक पोस्ट में लिखा कि 4 दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होगा, जो 22 दिसंबर तक चलेगा।उससे पहले संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने 2 दिसंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बता दें कि यह मीटिंग 5 राज्यों के चुनावी नतीजों से एक दिन पहले बुलाई जा रही है। सर्वदलीय बैठक 2 दिसंबर को सुबह 11 बजे से होगी। आमतौर पर सर्वदलीय बैठक सत्र शुरू होने से एक दिन बुलाई जाती है, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती से पहले बुलाई जा रही।
संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी एक्स पर एक पोस्ट के जरिए बताया कि अमृत काल के बीच सत्र के दौरान विधायी कामकाज और अन्य विषयों पर चर्चा का इंतजार है। उन्होंने बताया कि शीतकालीन सत्र कुल 19 दिनों का होगा, जिसमें 15 बैठकें होंगी। दिलचस्प बात यह है कि शीतकालीन सत्र 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की मतगणना के एक दिन बाद बुलाया जा रहा, जिसे राजनीति के जानकार 2024 के लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में देख रहे हैं।
आमतौर पर सर्वदलीय बैठक सत्र शुरू होने से एक दिन पहले बुलाई जाती है, लेकिन इस बार तीन दिसंबर को पांच राज्यों में वोटों की गिनती होनी है। इसके चलते बैठक दो दिसंबर को बुलाई गई है। दरअसल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं। तेलंगाना में 30 नवंबर को मतदान होगा। बाकी के चार राज्यों में मतदान हो चुका है। संसद में लंबित एक अन्य प्रमुख विधेयक मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित है। सत्र के दौरान सरकार इसे पास कराने की कोशिश करेगी। इस पर चर्चा कराई जा सकती है। इस विधेयक को मानसून सत्र में पेश किया गया था।
इस विधेयक को सरकार ने विपक्ष और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों के विरोध के बीच संसद के विशेष सत्र में पारित करने पर जोर नहीं दिया। वहीं, शीतकालीन सत्र में ही तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ कैश-फॉर-क्वेरी मामले में आचार समिति की रिपोर्ट लोकसभा में पेश की जाएगी। ऐसे में इस मुद्दे पर भी हंगामे के आसार हैं। इसके अलावा आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम को बदलने वाले तीन प्रमुख विधेयकों पर भी शीतकालीन सत्र में चर्चा होगी।
READ ALSO : बिहार की बेटी हूं, यहां के भविष्य को और उज्वल देखना चाहती हूं, इसलिए जनसुराज में शामिल हुई: अक्षरा सिंह