नई दिल्ली: 7 अक्तूबर, सोमवार को शारदीय नवरात्रि का पांचवां दिन है, जो मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप, स्कंदमाता की पूजा के लिए समर्पित है। स्कंदमाता का नामकरण उनके पुत्र स्कंद, यानि कार्तिकेय जी के कारण हुआ है। इनकी गोद में स्कंद जी बालरूप में विराजमान होते हैं। मां स्कंदमाता की उपासना से भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
मां स्कंदमाता का दिव्य स्वरूप
मां स्कंदमाता का रंग पूर्णतया सफेद है और वे कमल के फूल पर विराजमान होती हैं, जिसे पद्मासना कहा जाता है। इनके चार भुजाएं हैं:
- दाहिनी ऊपर की भुजा में वे अपने पुत्र स्कंद को पकड़ती हैं।
- निचली दाहिनी और एक बायीं भुजा में कमल का फूल होता है।
- बायीं भुजा अभय मुद्रा में रहती है।
स्कंदमाता हमें सिखाती हैं कि जीवन एक संग्राम है और हम ही अपने सेनापति हैं। उनका पूजन करने से हमें सैन्य संचालन की प्रेरणा मिलती है।
नवरात्रि के पंचवे दिन भोग
नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता को सफेद रंग के भोग अति प्रिय हैं। इस दिन उनके लिए दूध और चावल से बनी खीर का भोग अर्पित करें। साथ ही, केले का भोग भी लगाना शुभ होता है। केले और खीर का यह भोग अर्पित करने से मां स्कंदमाता भक्तों पर कृपा बरसाकर उन्हें खुशहाल जीवन और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। इस विशेष अवसर पर मां स्कंदमाता से कृपा पाने के लिए सच्चे मन से पूजा-अर्चना करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।