Swatantrya Veer Savarkar Film: मशहूर एक्टर रणदीप हुड्डा (Randeep Hooda) की फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ (Swatantrya Veer Savarkar) सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। एक्टिंग के साथ-साथ रणदीप ने इस फिल्म का डायरेक्शन भी किया है। अंकिता लोखंडे (Ankita Lokhande) भी इस फिल्म में अहम किरदार में नजर आ रही हैं।
इस फिल्म की क्या है कहानी
यह फिल्म विनायक दामोदर सावरकर पर बनी है, जो क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक, इतिहासकार और राजनेता थे। वो सावरकर जिन्होंने अंग्रेजो के सामने कभी सिर नहीं झुकाया, जो हिंदुत्व की विचारधारा लेकर आए, जिन्होंने अपना एक इंडिपेंडेंट ग्रुप बनाया, जिसका लक्ष्य रहा अखंड भारत और जो अहिंसा में नहीं बल्कि अपने हक के लिए हिंसा तक करने के लिए तैयार थे। वो सावरकर, जिन्होंने लंदन में पढ़ाई की और साथ ही सबको समझाया कि अंग्रेज ऐसे नहीं जाएंगे, उनसे लड़ना होगा और उसके लिए अगर बम भी बनाने पड़े तो वो पीछे नहीं हटेंगे। हालांकि, स्वराज्य महात्मा गांधी भी चाहते थे, लेकिन उनके और सावरकर की विचारधारा कभी एक जैसी नहीं रही। वीर सावरकर के वीर बनने की कहानी और उनके संघर्ष को दिखाती है ये फिल्म।
फिल्म का Review
फिल्म शुरुआत से दिखाती है वीर सावरकर की कहानी, उनका परिवार, उनके जीवन पर उनके बड़े भाई गणेश का प्रभाव, जो शुरुआत में तो अच्छा लगता है, लेकिन जल्द ही हर सीन सिर्फ सावरकर पर फोकस करने लगता है। फिल्म को काफी डार्क सेटिंग में शूट किया गया है, जो कि एक टाइम के बाद आपको परेशान भी करेगा। क्योंकि हमने इतिहास पढ़ा है तो हम सभी सेनानी को पहचान पाते हैं, लेकिन फिल्म में कहीं किसी के नाम लिखे नहीं आते जो उनके लिए दिक्कत पैदा कर सकता है, जिन्हे इतिहास अच्छे से याद नहीं और वो आधा टाइम सिर्फ यही सोचेंगे कि ये कौन सा कैरेक्टर हो सकता है। फिल्म 3 घंटे लंबी है और कई सीन काफी ज्यादा लंबे हैं, जिनकी जरुरत नहीं थी। जैसे जेल से लिखे जाने वाली सावरकर की ब्रिटिश सरकार के लिए पिटीशन। बाकी जेल में हुए कैदियों पर अत्याचारों को बखूबी दिखाया गया, जहां आपकी रूह भी कांप उठेगी।
जेल के सीन में रणदीप हुड्डा की सबसे कमाल की एक्टिंग
रणदीप हुड्डा ने जेल के सीन में सबसे कमाल का काम किया। वहीं, भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद और सुभाष चंद्र बोस का नाम तो आया, लेकिन उनके कैरेक्टर पर कुछ नहीं दिखाया गया, जो आपको थोड़ा अटपटा लग सकता है। फिल्म को बहुत दिनों से प्रोपेगेंडा बताया जा रहा था और जिस तरह से फिल्म में महात्मा गांधी को डार्क शेड में दिखाया गया, उससे कहीं न कहीं प्रोपेगेंडा वाली बात भी सच लगने लगती है। लेकिन फिल्म में वीर सावरकर और महात्मा गांधी के बीच के मतभेद वाले सीन काफी दिलचस्प लगते हैं। खैर, वीर सावरकर आपको एकतरफा फिल्म लग सकती है, जहां आप इनकी रिसर्च पर भी सवाल उठाएंगे, अगर आपको इतिहास याद है तो। बाकी फिल्म बीच में बहुत बोरिंग हो जाती है, जहां जेल के सीन को स्ट्रेच करके लगातार दिखाया गया। ये फिल्म आसानी से 2 घंटे में खत्म की जा सकती थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, आप बस इंटरवल का वेट ही करते रह जाएंगे।
अंकिता ने जबरदस्त निभाया यमुना बाई का किरदार
रणदीप हुड्डा ने वीर सावरकर को जीया है, उनका फिल्म में इतना ट्रांसफॉर्मेशन देखकर आप हैरान रह जाएंगे। कई सीन में ये समझना मुश्किल हो जाता है कि ये वही रणदीप हैं जिन्हें हमने हाईवे, किक या मर्डर 3 में देखा था। उनके कई सीन आपकी आंखें भी नम करते हैं तो कई आपको हंसा भी जाते हैं। अमित सिआल ने सावरकर के बड़े भाई का किरदार निभाया और वो इस रोल में बहुद जंचे भी, वहीं मदन लाल बने मृणाल दत्त का काम भी अलग छाप छोड़ जाता है। अंकिता लोखंडे का ये अवतार हमने पहले नहीं देखा, उन्होंने यमुना बाई के किरदार को बखूबी निभाया है। हालांकि महात्मा गांधी बने राजेश खेरा में वो बात नहीं दिखती, जो आप इस किरदार में देखना चाहेंगे। इसी के साथ, बाकी कास्ट ने भी अच्छा काम किया है।
इतिहास में है दिलचस्पी तो जरूर देखें ये फिल्म
बता दें, कि वीर सावरकर उन्हें पसंद आ सकती है, जिन्हें इतिहास में दिलचस्पी हो और जिनमें इस लंबी फिल्म को देखने की सहनशीलता हो, वरना इसे मस्ट वॉच फिल्म नहीं बुलाया जा सकता है।
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