Home » कानपुर में तैयार हो रहा खास पैराशूट: तेजस विमानों के पायलटों के लिए एक नई उपलब्धि

कानपुर में तैयार हो रहा खास पैराशूट: तेजस विमानों के पायलटों के लिए एक नई उपलब्धि

अब तक भारतीय सेना विदेशी देशों से जो पैराशूट खरीदती थी, उनकी लागत काफी अधिक थी। लेकिन ओपीएफ फैक्ट्री द्वारा बनाए जा रहे नए पैराशूट की लागत लगभग दो गुना कम होगी, जबकि इसकी गुणवत्ता पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है।

by Rakesh Pandey
WhatsApp Group Join Now
Instagram Follow Now

कानपुर: भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान तेजस के पायलटों के लिए एक खास प्रकार का पैराशूट तैयार किया जा रहा है, जो आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पैराशूट कानपुर स्थित ओपीएफ (ऑर्डनेंस पैराशूट फैक्ट्री) में निर्मित हो रहा है, और इसे भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस पैराशूट का उपयोग विशेष रूप से तब किया जाएगा जब लड़ाकू विमानों में कोई तकनीकी खराबी हो और पायलट को सुरक्षित रूप से विमान से बाहर निकालने की आवश्यकता हो।

अब तक विदेशों पर थी निर्भरता

भारत की वायुसेना अब तक अपनी सीट इजेक्शन पैराशूट्स के लिए विदेशी देशों पर निर्भर थी। इन पैराशूट्स का उपयोग पायलटों को लड़ाकू विमानों से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए किया जाता है। लेकिन अब, भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के तहत एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेबलिशमेंट (एडीआरडीई) के इंजीनियरों ने एक विशेष डिज़ाइन तैयार किया है, जो तेजस विमानों के पायलटों के लिए उपयुक्त है।

तेजस विमानों के लिए विशेष पैराशूट

तेजस फाइटर जेट की अधिकतम स्पीड 2205 किलोमीटर प्रति घंटा है, और यह 50,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है। ऐसे में पायलट के लिए सुरक्षित रूप से उतरने के लिए एक विशेष पैराशूट की आवश्यकता थी। इस विशेष डिज़ाइन को मंजूरी मिलने के बाद, ओपीएफ फैक्ट्री ने इस पैराशूट का निर्माण शुरू कर दिया है। इस कदम के बाद भारत अब अमेरिका और यूरोपीय देशों से इस प्रकार के पैराशूट की आपूर्ति पर निर्भर नहीं रहेगा।

लागत में कमी और गुणवत्ता में वृद्धि

अब तक भारतीय सेना विदेशी देशों से जो पैराशूट खरीदती थी, उनकी लागत काफी अधिक थी। लेकिन ओपीएफ फैक्ट्री द्वारा बनाए जा रहे नए पैराशूट की लागत लगभग दो गुना कम होगी, जबकि इसकी गुणवत्ता पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है। इस पैराशूट का वजन लगभग 8 किलोग्राम है और इसकी अनुमानित कीमत 8 लाख रुपये तक होगी।

पैराशूट के प्रकार और उपयोग

कानपुर की ओपीएफ फैक्ट्री में इस समय दो प्रकार के पैराशूट तैयार किए जा रहे हैं- पायलट पैराशूट और ब्रेक पैराशूट। ये पैराशूट न केवल तेजस, बल्कि अन्य भारतीय लड़ाकू विमानों जैसे P7, मिराज, जगुआर, सुखोई, मिग आदि में भी इस्तेमाल किए जाएंगे। इन पैराशूट्स का उद्देश्य पायलट को आपातकालीन स्थिति में सुरक्षित रूप से उतरने में मदद करना है।

महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान

इस परियोजना में महिला सशक्तिकरण का भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। ओपीएफ फैक्ट्री में करीब 65 महिलाएं इस परियोजना पर काम कर रही हैं। यह न केवल भारतीय रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि महिलाओं की सक्रिय भागीदारी को भी उजागर कर रहा है।

कानपुर की ओपीएफ फैक्ट्री की उपलब्धि

ओपीएफ फैक्ट्री ने एशिया में पहली बार तेजस विमान के लिए पायलट पैराशूट तैयार किया है। यह उपलब्धि भारतीय रक्षा क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है, क्योंकि इससे भारत को न केवल अपनी सेना के लिए आवश्यक पैराशूट मिलेंगे, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी भारत के पैराशूट उद्योग को एक नई पहचान मिल सकती है।

कानपुर में बन रहा यह खास पैराशूट भारतीय रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम भारतीय वायुसेना को अमेरिका और यूरोपीय देशों से पैराशूट खरीदने की निर्भरता से मुक्त करेगा, साथ ही इसके निर्माण में भारतीय महिला श्रमिकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। ओपीएफ फैक्ट्री की यह उपलब्धि भारत के आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को और मजबूती से साकार करने की दिशा में एक मजबूत कदम है।

Read Also- PM मोदी पहुंचे प्रयागराज, संगम तट पर पूजा के साथ होगी शुरूआत

Related Articles