- सहकारी समितियों के जाल में फंसे लाखों निवेशक, ग्रुप का सीएमडी दुबई फरार
- दिल्ली पुलिस ईओडबल्यू ने एफआईआर दर्ज कर शुरू की जांच
- ग्रुप के प्रमोटर में बॉलिवुड अभिनेता श्रेयश तलपड़े भी शामिल,
- आज भी उनके यू ट्यूब वीडियो ऑनलाइन
नई दिल्ली : देश में एक बार फिर से एक विशाल वित्तीय घोटाले ने लाखों निवेशकों की जिंदगी तबाह कर दी है। सागा ग्रुप और उसकी सात सहकारी समितियों ने 25,000 करोड़ रुपये की अनुमानित ठगी को अंजाम दिया, जिसमें दिल्ली में ही 100 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी शामिल है। ग्रुप का सीएमडी समीर अग्रवाल कथित तौर पर दुबई भाग गया, और कंपनी का सॉफ्टवेयर सर्वर भी वहां शिफ्ट कर लिया गया। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की है। इस घोटाले ने सहकारी समिति व्यवस्था की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े किए और आर्थिक अविश्वास को बढ़ावा दिया है।
सहकारी समितियों का जाल
सागा ग्रुप ने मल्टी-स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटी अधिनियम (एमएससीएस एक्ट, 2002) का दुरुपयोग कर सात सहकारी समितियों का जटिल नेटवर्क बनाया। इनमें ह्यूमन वेलफेयर क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट को-ऑपरेटिव सोसाइटी, लोनी अर्बन क्रेडिट एंड थ्रिफ्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी, एलजेसीसी, स्वामी विवेकानंद, विश्वास, एस.एस.वी, और एस.एस. शामिल हैं। इन समितियों ने आकर्षक निवेश योजनाओं का लालच देकर छोटे दुकानदारों, महिलाओं, रेहड़ी-पटरी वालों और मध्यमवर्गीय परिवारों को अपने जाल में फंसाया।
27 मार्च 2025 को ईओडब्ल्यू ने समीर अग्रवाल और अन्य के खिलाफ एफआईआर नंबर 0044 दर्ज की। शिकायतकर्ता विकास सैनी सहित पीड़ितों ने बताया कि ग्रुप ने डिजिटल पॉइंट्स और फर्जी दस्तावेजों के जरिए उन्हें गुमराह किया। यह घोटाला न केवल व्यक्तिगत नुकसान का कारण बना, बल्कि सहकारी व्यवस्था की साख को भी धक्का पहुंचा।
बना रखा था ठगी का सुनियोजित तंत्र
सागा ग्रुप ने निवेशकों को ठगने के लिए एक बहुस्तरीय तंत्र विकसित किया। इसकी शुरुआत आकर्षक योजनाओं जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट (5.2-5.5 साल में दोगुना रिटर्न), रेकरिंग डिपॉजिट, मंथली इनकम प्लान, पेंशन स्कीम, एजुकेशन प्लान और “धन की पेटी” से हुई। इन योजनाओं ने त्वरित मुनाफे का लालच देकर निवेशकों को आकर्षित किया।
देशभर में हजारों सुविधा केंद्र इस घोटाले का आधार बने। इन केंद्रों को 30 लाख से 1 करोड़ रुपये का मासिक निवेश लक्ष्य दिया जाता था। संचालकों को 2% कमीशन और डिजिटल पॉइंट्स के जरिए प्रोत्साहन मिलता था। संचालकों से 2 लाख रुपये की सिक्योरिटी मनी ली जाती थी, जिसके बाद वे अपने परिवार, दोस्तों और परिचितों को योजनाओं से जोड़ते थे।
यह सामाजिक नेटवर्क घोटाले के विस्तार का मुख्य कारण बना। संचालक अपनी पूंजी और सामाजिक रिश्तों को दांव पर लगाकर निवेशकों को जोड़ते थे। कई मामलों में, संचालकों ने अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों को योजनाओं में शामिल किया, जिससे घोटाले का दायरा और बढ़ा। शुरू में छोटे-मोटे रिटर्न देकर निवेशकों का भरोसा जीता गया, लेकिन बाद में उनकी पूरी पूंजी डूब गई।
भ्रामक प्रचार और फर्जी दावों से करते थे लुभाने का काम
सागा ग्रुप ने निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए भ्रामक प्रचार का सहारा लिया। कंपनी ने दावा किया कि उसने “बाहुबली 2” फिल्म के 70% मल्टीमीडिया इफेक्ट्स में निवेश किया। इसके अलावा, कनाडा, केन्या और दक्षिण अफ्रीका में खनन और तेल-गैस व्यवसाय में हिस्सेदारी के फर्जी दावे किए गए। प्रभावशाली व्यक्तियों, सेमिनारों और डिजिटल ऐप के जरिए निवेशकों को झूठा भरोसा दिलाया गया।
डिजिटल पॉइंट्स सिस्टम में दिखाए गए मुनाफे पूरी तरह फर्जी थे
निवेशकों को नकली दस्तावेजों के साथ सरकारी बीमा सुरक्षा का झांसा दिया गया। फरवरी 2024 से कंपनी ने बैंक भुगतान बंद कर डिजिटल पॉइंट्स में भुगतान शुरू किया। अगस्त 2024 में दिल्ली का मुख्य कार्यालय खाली कर दिया गया, और मेल सर्वर बंद हो गए। 3 दिसंबर 2024 को सॉफ्टवेयर ठप हुआ, और 7 दिसंबर को कंपनी का ऐप पूरी तरह बंद हो गया। इस दौरान समीर अग्रवाल ने सॉफ्टवेयर को दुबई शिफ्ट कर निवेशकों का पैसा फंसा दिया।
एफआईआर में बॉलीवुड अभिनेता श्रेयस तलपड़े का भी नाम
एफआईआर में बॉलीवुड अभिनेता श्रेयस तलपड़े का नाम भी शामिल है, जो सागा ग्रुप के प्रचार वीडियो में दिखाई दिए। ये वीडियो आज भी यूट्यूब पर उपलब्ध हैं। शिकायतकर्ताओं ने उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। श्रेयस तलपड़े ने कहा कि मामला कोर्ट में है और वे ग्रुप से जुड़े नहीं थे। उनकी संलिप्तता की जांच जारी है, लेकिन उनके नाम ने घोटाले को और सुर्खियों में ला दिया।
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ज्यादतर निवेशक छोटे दुकानदार, रेहड़ी-पटरी वाले
इस घोटाले ने छोटे दुकानदारों, रेहड़ी-पटरी वालों, महिलाओं और मध्यमवर्गीय परिवारों की जिंदगी तबाह कर दी। सुविधा केंद्र संचालक, जिन्होंने अपनी पूंजी और सामाजिक रिश्तों को दांव पर लगाया, अब कर्ज में डूब गए हैं। कई निवेशकों को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है। निवेशकों ने समीर अग्रवाल की गिरफ्तारी, दुबई से प्रत्यर्पण, ग्रुप की संपत्तियों की जब्ती और राशि वापसी की मांग की है।
मुख्य आरोपी के विदेश भागने से बढ़ी चुनौतियां
ईओडब्ल्यू ने 6 जनवरी 2025 को पहली शिकायत दर्ज की और 27 मार्च 2025 को एफआईआर दर्ज की। एफआईआर में समीर अग्रवाल, दीप्ति गुप्ता, चंद्र प्रकाश गुप्ता, जसवीर, नितिन आहूजा, डॉ. आर.के. शेट्टी और श्रेयस तलपड़े सहित 20 लोगों के नाम हैं। समीर अग्रवाल के दुबई भागने और सॉफ्टवेयर के शिफ्ट होने से जांच में चुनौतियां बढ़ गई हैं।
यह घोटाला सहकारी व्यवस्था पर सवाल
यह घोटाला सहकारी समितियों के नियमन और निवेशक सुरक्षा पर सवाल उठाता है। एमएससीएस एक्ट के तहत बनी समितियों का दुरुपयोग और कमजोर निगरानी इसकी जड़ में है। विशेषज्ञों का कहना है कि सख्त नियम और पारदर्शी निगरानी जरूरी है। निवेशकों को भी योजनाओं की विश्वसनीयता जांचनी चाहिए।
आगे की राह आसान नहीं
निवेशकों को अब न्याय और अपनी कमाई की वापसी का इंतजार है। यदि समीर अग्रवाल को भारत लाया जाता है और ग्रुप की संपत्तियां जब्त होती हैं, तो कुछ राहत मिल सकती है। हालांकि, यह प्रक्रिया लंबी हो सकती है, और पीड़ितों के लिए यह इंतजार मुश्किल भरा होगा।