Home » Jharkhand shaharnama : शहरनामा : रहेंगे साथ, दिखेंगे नहीं

Jharkhand shaharnama : शहरनामा : रहेंगे साथ, दिखेंगे नहीं

by Birendra Ojha
sharnama jharkhand
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

अपनी लौहनगरी की राजनीति भी खूब मजेदार है। यहां के दो दिग्गजों में छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है। पिछले दिनों यह एक बार फिर धरातल पर दिखाई दिया। हुआ यूं कि आलाकमान के हुक्म पर भगवाधारियों ने जुलूस निकाला था। उसमें दिल्ली रिटर्न वाले नेताजी भी थे, तो उत्कल पलट वाले नेताजी भी शामिल हुए। कहने को दोनों आलाकमान के आदेश पर एक ही यात्रा में शामिल हुए, लेकिन एक साथ नहीं दिखे। अलग-अलग टाइम में दोनों नेताजी अपने-अपने समर्थकों के साथ झंडा लिए हुए दिखे। पत्रकार इस बात के लिए तरसते रह गए कि एक फ्रेम में दोनों नेताओं को कैद किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। दोनों की टाइमिंग और स्थान मैच नहीं हो सकी। इससे पहले भी एक-दो बार ऐसा हो चुका है, जिसमें दोनों नेता शामिल तो हुए थे, लेकिन कैमरे के फ्रेम में एक साथ कभी कैद नहीं हो सके थे।

Read Also- Jharkhand shaharanaama : शहरनामा : लौट के बुद्घू घर को आए

खिसियानी बिल्ली कौन

कहावत है, खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे। यह बात यहां की राजनीति में खूब समाई हुई है। आमतौर पर जब एक-दूसरे से खुन्नस मिटानी होती है, तो कुछ इसी तरह का काम किया जाता है, जिससे ज्यादा बवाल भी न हो और अगला समझ भी जाए कि सचेत रहना है। ऐसा ही एक-दो वाकया हाल में हुआ, जिसे लोग इसी कहावत से जोड़ रहे हैं।

Read Also- शहरनामा : जाम बिना चैन कहां

पहले तो भतीजे की फूड फैक्ट्री वाली जगह पर महलनुमा ढांचा बनवा दिया गया। अब जब वह बिना उपयोग के जर्जर होने लगा तो उसे चालू कराने की मांग होने लगी। इसी तरह टेंडर को लेकर चाचा-भतीजा के लोग भिड़ गए। दोनों ने एक-दूसरे पर संगीन आरोप लगाए, लेकिन इससे ज्यादा बात आगे नहीं बढ़ सकी। कुल मिलाकर मामला रफा-दफा ही समझिए। इसी तरह की घटनाएं तब भी होती थीं, जब चाचा पुरवइया हवा बहाते थे। वहां भी चाचा का खूब जलवा था।

Read Also- शहरनामा : जंगल में कौन मना रहा मंगल

टाइगर की दहाड़

पिछले महापर्व में राज्य के निवासियों को एक से बढ़ कर एक थ्रिलर फिल्म देखने को मिली थी। भूतो न भविष्यति… की तर्ज पर टाइगर को लोगों ने जंगल से पिंजड़े में कैद होते हुए देखा। उस समय भी लोगों ने इस निर्णय पर तरह-तरह की चर्चा करनी शुरू की थी, तो अब भी जब-जब टाइगर की दहाड़ गूंजती है, तो लोग वही बात अब भी दोहराते हैं।

Read Also- Jharkhand shaharanaama : शहरनामा  : पाठशाला बनी अखाड़ा

जानकार कहते हैं कि मैंने कहा था न, कि जंगल का टाइगर पिंजड़े में कैद हो गया है। सेना की शान में इतनी बड़ी भगवा यात्रा निकली, लेकिन टाइगर नहीं दिखे। इससे पहले भी उन्हें राज्य का बड़ा नेता बनाने का आश्वासन मिला था, लेकिन वह कुर्सी भी पुराने वाले बाबू ले गए। अब बेचारे को सोते-जागते घुसपैठिए सताते रहते हैं। उन्हें इस बात से चैन मिली है कि सरकार घुसपैठिए को भगाने के लिए टीम बनाने जा रही है।

Read Also- शहरनामा: तीसरी आंख नहीं, तीसरा आदमी


किसान अब क्या उगाएं

लौहनगरी के लिए समर्पित इस जिले में जब-तब किसानों को समृद्ध बनाने के लिए नई-नई स्कीम लाई जाती है। पहले तो जोर-शोर से इसका प्रचार-प्रसार किया जाता है, लेकिन कुछ दिनों बाद वह योजना गधे की सींग बनकर गायब जाती है। ज्यादा पुरानी बात नहीं है, जब लेमनग्रास उगाकर किसानों को मालामाल बनाने की स्कीम आई थी। यह बंजर जमीन पर उग जाती है। पानी पटाने की आवश्यकता नहीं है और इसका तेल हजारों रुपये गैलन बिकता है। घास उगाए भी गए, लेकिन प्रोसेसिंग प्लांट ही खटाई में पड़ गया। इसके बाद बांस शिल्प से समृद्धि लाने की योजना आई, लेकिन पता नहीं, वह भी कहां गुम हो गई। अब नई योजना आम वाली है, जो सीजन समाप्त होते ही गायब हो जाएगी। कहा गया कि यहां का आम अल्फांसो को भी टक्कर देगा, विदेश तक ललचाएगा। देखना है कि अगले सीजन में क्या होता है।

Read Also- Read Also- Jharkhand shaharanaama : शहरनामा  : पाठशाला बनी अखाड़ा

Related Articles