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Jharkhand Health News : झारखंड का ‘डेंगू किट ड्रामा’ : लाखों किट खरीदे, इस्तेमाल नदारद!

by Rakesh Pandey
Jharkhand Health News
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रांची : झारखंड के स्वास्थ्य विभाग में डेंगू जांच किट की खरीद में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं। विभाग ने राज्य भर के मेडिकल कॉलेजों और जिला जनस्वास्थ्य प्रयोगशालाओं (DPHL) की वास्तविक आवश्यकता से कहीं अधिक संख्या में डेंगू जांच किट खरीद ली है। चौंकाने वाली बात यह है कि इन किटों में से कई उन जिलों में भेज दी गई हैं, जहां डेंगू जांच की मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। इस स्थिति ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

अधिशेष किटों का वितरण और अप्रयुक्त मशीनें

स्थिति स्पष्ट होने के बाद, स्वास्थ्य विभाग ने इन अधिशेष किटों को अन्य संस्थानों में स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया। किटों के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, बोकारो, गुमला, धनबाद, लोहरदगा और खूंटी जैसे जिलों को एलाइजा रीडर विद वॉशर मशीन भी उपलब्ध कराई गई। हालांकि, इन जिलों में अब तक न तो ये मशीनें चालू हुई हैं और न ही चिकित्सकों व तकनीशियनों को इनके संचालन के लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया है। यह दर्शाता है कि विभाग ने बिना किसी उचित योजना के महंगी मशीनें खरीदीं और वितरित कीं, जिससे सार्वजनिक धन का दुरुपयोग हुआ।

Jharkhand Health News : खरीद और वास्तविक उपयोग में बड़ा अंतर

विभाग द्वारा कुल 1.88 लाख डेंगू जांच किट खरीदी गई हैं। इसके विपरीत, आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक वर्ष में राज्य में डेंगू जांच के लिए 10 हजार मरीज भी सामने नहीं आए हैं। यह खरीद और वास्तविक उपयोग के बीच एक बड़ा अंतर दर्शाता है। कई संस्थानों को भेजी गई किटों की संख्या इतनी अधिक है कि उनकी उपयोग अवधि (1 से 1.5 वर्ष) समाप्त होने से पहले उनकी खपत कर पाना संभव नहीं होगा। कुछ केंद्रों ने यह आशंका जताई है कि इन किटों की खपत में 4 से 5 साल लग सकते हैं, जो व्यावहारिक रूप से असंभव है, क्योंकि तब तक किटों की सेल्फ लाइफ समाप्त हो चुकी होगी और वे अनुपयोगी हो जाएंगी। यह दर्शाता है कि खरीद प्रक्रिया में गंभीर त्रुटियां थीं और भविष्य की आवश्यकताओं का सही आकलन नहीं किया गया था।

Jharkhand Health News : भविष्य की चुनौतियां और जवाबदेही

इस बड़े पैमाने की खरीद गड़बड़ी से न केवल सार्वजनिक धन का अपव्यय हुआ है, बल्कि यह भविष्य में स्वास्थ्य सेवाओं पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। अप्रयुक्त किटों और मशीनों का निपटान एक और चुनौती होगी। इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग की जवाबदेही तय होनी चाहिए और खरीद प्रक्रिया की गहन जांच की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोका जा सके। यह आवश्यक है कि स्वास्थ्य सेवाएं जनता के लिए सुलभ और प्रभावी हों, न कि घोटालों का केंद्र।

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