चाईबासा, झारखंड: पश्चिम सिंहभूम जिले का सदर अस्पताल एक बार फिर अपनी बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण सुर्खियों में है। अस्पताल में बेड की कमी से जूझ रहे मरीजों की दुर्दशा सामने आई है, जहां एक जिला परिषद सदस्य को गंभीर मरीज के लिए अपने घर से खाट लेकर आना पड़ा। यह घटना मंगलवार देर रात की है, जिसने सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दरअसल, सदर प्रखंड के टेकराहातु गांव निवासी मोरन पूर्ति (70) को गंभीर हालत में इलाज के लिए अस्पताल लाया गया था। इमरजेंसी वार्ड में एक भी बेड खाली न होने के कारण मोरन पूर्ति को स्ट्रेचर पर ही लिटाकर इलाज दिया जा रहा था। यह पहली बार नहीं है जब सदर अस्पताल चाईबासा में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को लेकर सवाल उठे हैं।
Chaibasa Health News : क्या है पूरा मामला?
मंझारी प्रखंड के जिला परिषद सदस्य माधव चंद्र कुंकल को जब यह जानकारी मिली कि सदर अस्पताल में एक गंभीर मरीज को बेड नहीं मिल पा रहा है, तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई की। इसकी सूचना मिलते ही कुंकल अपने घर से एक खाट लेकर सीधे अस्पताल पहुंचे। उन्होंने वहां मौजूद स्ट्रेचर से मरीज को नीचे उतारा और उन्हें खाट पर लिटा दिया। इस घटना को देखकर अस्पताल में मौजूद अन्य लोग भी हैरान थे। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि अस्पताल में मरीजों की बढ़ती संख्या के मुकाबले सुविधाएं कितनी कम हैं।
Chaibasa Health News : स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल
इस घटना ने झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। जिला परिषद सदस्य माधव चंद्र कुंकल ने इस पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा, “यह बेहद चिंताजनक है कि सरकारी अस्पताल में गरीब मरीजों को इलाज के लिए पर्याप्त सुविधा भी नहीं मिल पा रही है। अमीर लोग तो बड़े शहरों में अपना इलाज करवा लेते हैं, लेकिन गरीब और ग्रामीण इलाकों के लोग पूरी तरह से सरकारी अस्पतालों पर निर्भर होते हैं। जब अस्पताल में बेड तक न मिले, तो इलाज की उम्मीद कैसे की जाए?”
इस मामले में सिविल सर्जन से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। अधिकारियों की ओर से कोई भी आधिकारिक बयान न आना भी इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाता है। यह घटना दर्शाती है कि मरीजों को न केवल समय पर इलाज नहीं मिल रहा, बल्कि उन्हें बुनियादी सुविधाओं के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।