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Jharkhand Liquor Scam ED Entry : झारखंड शराब घोटाले में ईडी की एंट्री, आरोपियों से पूछताछ की अदालत ने दी अनुमति

आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे, सेवानिवृत्त आईएएस अमित प्रकाश, झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गजेंद्र सिंह, छत्तीसगढ़ के कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया और प्रिज्म होलोग्राफी के निदेशक विधु गुप्ता सहित कई अन्य शामिल थे।

by Reeta Rai Sagar
Jharkhand Liquor scam
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Ranchi (Jharkhand) : झारखंड में कथित 129 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की जांच अब और तेज हो गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में औपचारिक रूप से प्रवेश करते हुए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ईसीआईआर संख्या 10/2025 दर्ज कर ली है। इसके साथ ही यह मामला अब राज्य की सीमाओं से आगे वित्तीय अपराध की दिशा में भी जांच के दायरे में आ गया है।

जानकारी के अनुसार, झारखंड सरकार के एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को आधार बनाते हुए ईडी ने रांची स्थित पीएमएलए की विशेष अदालत में आवेदन दिया था। एजेंसी ने एसीबी द्वारा गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ और उनके बयान रिकॉर्ड करने की अनुमति मांगी थी, जिसे अदालत ने मंजूरी दे दी। अदालत की स्वीकृति के बाद अब ईडी आरोपियों से मनी लॉन्ड्रिंग की कड़ियों को लेकर विस्तृत पूछताछ कर सकेगी।

एसीबी ने इसी वर्ष दर्ज की थी प्राथमिकी

एसीबी ने इसी वर्ष मई में शराब दुकानों के संचालन और मानव संसाधन उपलब्धता से जुड़ी अनियमितताओं की जांच के बाद एक विस्तृत प्राथमिकी दर्ज की थी। एफआईआर में 12 से अधिक लोगों को नामजद किया गया था, जिसमें आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे, सेवानिवृत्त आईएएस अमित प्रकाश, झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी गजेंद्र सिंह, छत्तीसगढ़ के कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया और प्रिज्म होलोग्राफी के निदेशक विधु गुप्ता सहित कई अन्य शामिल थे।

129.55 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान

जांच में सामने आया कि राज्य के विभिन्न जिलों में शराब दुकानों के संचालन के लिए सात प्लेसमेंट कंपनियों को दिए गए ठेकों में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं। टेंडर प्रक्रिया में जमा कराई गई कई बैंक गारंटियां फर्जी पाई गईं। इसके अलावा मानव संसाधन आपूर्ति में व्यापक गड़बड़ियों और ओवरबिलिंग की शिकायतें सामने आईं। झारखंड स्टेट बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड की आंतरिक ऑडिट रिपोर्ट में सरकार को 129.55 करोड़ रुपये के वित्तीय नुकसान का अनुमान लगाया गया है।

हालांकि, आरोप पत्र समय पर दाखिल नहीं होने के कारण सभी गिरफ्तार आरोपी अदालत से जमानत पा चुके हैं। इस मामले में अब तक चार आईएएस अधिकारियों से पूछताछ हो चुकी है। ईडी की जांच शुरू होने के साथ ही घोटाले में संभावित धन शोधन की परतें खुलने की उम्मीद बढ़ गई है। राजनीतिक हलकों में भी इसे एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम माना जा रहा है, क्योंकि एजेंसी अब रकम के प्रवाह, संबंधित कंपनियों के लेनदेन और संभावित बड़े नेटवर्क की जांच करेगी।

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