लोकल डेस्क, गोरखपुर : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के प्रशासनिक भवन में शुक्रवार को हुए विवाद के मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से 22 लोगों के खिलाफ नामजद एफआइआर दर्ज करायी गयी है। शनिवार को विवि के चीफ प्राक्टर डॉ. सत्यपाल सिंह की ओर से कैंट थाने में प्राथमिकी की गयी है। इसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 342, 427, 323 और 7 के तहत केस पंजीकृत किया गया है।
विवि प्रशासन की ओर से आरोप लगाया गया है कि हंगामे के बीच कुलसचिव पर जानलेवा हमला किया गया। इसके अलावा कुलपति की गाड़ी को क्षतिग्रस्त किया गया। विवि के अलग-अलग पदाधिकारियों को उनके कार्यालय में जबरन बंद कर दिया गया। इस घटना को अंजाम देने में कई विवि के छात्र शामिल रहे। इन्हें ऐसा कृत्य करने के लिए बाहरी लोगों की ओर से उकसाया गया।
इन्हें बनाया गया आरोपी
विवि छात्र : संजीव तिवारी, अर्पित कसौंधन, पीयूष मिश्रा, दीपक कुमार, शक्ति प्रताप सिंह, प्रिंस तिवारी, चंद्रपाल सिंह, सूरज मौर्य चंचल
बाहरी छात्र : आलोक गुप्ता, अंकित मिश्र, ऋषभ सिंह, शिवम पांडेय, शुभम राव, श्रवण कुमार मिश्र, मयंक राय, प्रभात राय, अभिनव सिंह, ओंकार मिश्र, दीपक पांडेय, अनुराग मिश्र, सौरभ गौड़ पीयूष सिंह
विवि की ओर से की गयी शिकायत में क्या है
विवि की ओर से दर्ज करायी गयी एफआइआर में कहा गया है कि 21 जुलाई को लगभग ग्यारह बजे दिन में कार्यालय अवधि में कुछ लोग जबरदस्ती विश्वविद्यालय के प्रशानिक भवन में घुस आये। इसमें कुछ विद्यार्थी भी थे। इन लोगों ने परिसर में हंगामा मचाना शुरू कर दिया।
प्रशानिक भवन स्थित कुलपति कार्यालय के सामानों को एवं उपस्कर गमले, शीशे, कुर्सियों व कुलपति की गाड़ी को क्षतिग्रस्त किया। कुलपति, वित्त अधिकारी, कुलसचिव, नियंता आदि को उनके कमरे में बंद कर दिया। इन उपद्रवी विद्यार्थियों को कुछ बाहरी तत्व सुनियोजित षड्यंत्र के तहत अपराध करने के लिए प्रेरित कर रहे थे।
उपद्रवी तत्वों द्वारा विश्वविद्यालय अधिकारियों के सरकारी कार्यों में जानबूझकर बाधा पहुुंचायी। विवि प्रशासन की ओर सुरक्षा के लिए पुलिस को बुलाना पड़ा। पुलिस की उपस्थिति में भी ये लोग उपद्रव करते रहे। पुलिस के समझाने-बुझाने पर भी ये लोग शांत नहीं हुए। किसी तरह कुलपति को पुलिस संरक्षण में बाहर निकाला गया। विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों ने किसी प्रकार छिपकर अपनी जान बचायी।
इसी बीच कुलसचिव इन उपद्रवी तत्वों के हाथ लग गये। वह इन्हें समझाने का प्रयास कर रहे थे। इन उपद्रवी तत्वों में हत्या करने के उद्देश्य से जानलेवा हमला किया। उनके ऊपर मुक्का थप्पड़ चलाया गया। हत्या करने के उद्देश्य से कड़े कुंद से उनके सिर के पिछले भाग में प्रहार किया गया। इससे उनके सिर से रक्त प्रवाहित होने लगा। वह गिर गये। गिरने के बाद भी उन पर उपद्रवी तत्वों द्वारा उनके ऊपर प्रहार किया जाता रहा।
इससे उनके पूरे बदन में चोट लगी। किसी प्रकार बीच-बचाव करते हुए उनको उपद्रवी तत्वों के बीच से निकाला गया। तब तक उनकी हालत बहुत खराब हो चुकी थी। इस घटना के पूर्व भी 13 जुलाई को भी उपद्रवी तत्वों ने घटना को अंजाम दिया था। इसके संबंध में उसी दिन प्राथमिकी दर्ज करने के लिए लिखित सूचना दी गसी। इसके बावजूद इल लोगों के खिलाफ कोई निरोधात्मक या अन्य कार्यवाही नहीं हुई। जिसके कारण उपद्रवी तत्व का मनोबल बढ़ गया और उन्होंने वर्तमान घटना को अंजाम दिया।