सरायकेला : झारखंड की सरायकेला विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी चंपाई सोरेन की जीत ने क्षेत्र में नई राजनीतिक दिशा तय की है। जीत के बाद चंपाई सोरेन ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ने की घोषणा की। उन्होंने इसे केवल सत्ता की जीत नहीं, बल्कि आदिवासी अधिकारों और क्षेत्र के विकास के लिए एक निर्णायक कदम बताया।
बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ सख्त रुख
चंपाई सोरेन ने अपनी जीत के बाद स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी अगली लड़ाई बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकालने की है। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, “बाहरी घुसपैठियों के कारण आदिवासी अपने ही क्षेत्र में हाशिए पर आ गए हैं। हमारी सरकार इसे अब और बर्दाश्त नहीं करेगी।” चंपाई ने आदिवासी समुदाय को यह विश्वास दिलाया कि उनकी जमीनें और अधिकार उन्हें वापस दिलाने के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे।
झामुमो की नीतियों पर हमला
चंपाई सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी नीतियों ने बांग्लादेशी घुसपैठ को बढ़ावा दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार क्षेत्र में घुसपैठ रोकने और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाएगी।
आदिवासी सम्मान और क्षेत्र का विकास
चंपाई सोरेन ने अपनी जीत को आदिवासी समुदाय के सम्मान की जीत बताया। उन्होंने कहा कि यह केवल एक चुनावी जीत नहीं है, बल्कि क्षेत्र के समग्र विकास और आदिवासियों की बहाली की दिशा में पहला कदम है। उन्होंने कहा, “हमारी लड़ाई आदिवासियों की जमीन और उनकी पहचान को वापस दिलाने की है।”
क्षेत्र में बढ़ती राजनीतिक हलचल
चंपाई सोरेन की यह घोषणा सरायकेला और आसपास के आदिवासी इलाकों में चर्चा का विषय बन गई है। बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे पर उनके सख्त रुख से राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव आने वाले दिनों में और गहराने की संभावना है। अब माना जा रहा है कि चंपाई सोरेन की जीत ने सरायकेला को झारखंड की राजनीति का एक नया केंद्र बना दिया है। उनका बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ आंदोलन और आदिवासियों के अधिकारों की बहाली का वादा आने वाले समय में क्षेत्र की राजनीति और सामाजिक ढांचे को नया स्वरूप दे सकता है। भाजपा के इस नए नेतृत्व से आदिवासी समुदाय को बड़ी उम्मीदें हैं।

