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Jamshedpur Politics : बहरागोड़ा में आजसू को बड़ा झटका, फनी भूषण महतो समेत कई नेता जेएलकेएम में होंगे शामिल

* जयराम महतो के नेतृत्व से प्रभावित होकर लिया फैसला, 13 जुलाई को आयोजित समारोह में लेंगे सदस्यता...

by Anand Mishra
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Chakulia (Jharkhand) : झारखंड की सियासत में एक और बड़ी हलचल सामने आई है। बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र से आजसू पार्टी को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब पार्टी के प्रभारी फनी भूषण महतो ने शुक्रवार को पार्टी छोड़ने की घोषणा कर दी। उन्होंने चाकुलिया में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह ऐलान करते हुए कहा कि वे आगामी 13 जुलाई को बोड़ाडीह दुर्गा पूजा मैदान में प्रस्तावित जेएलकेएम (JKLM) (झारखंड लोकतांत्रिक क्रन्तिकारी मोर्चा) के समारोह में अपने दर्जनों समर्थकों के साथ जेएलकेएम की सदस्यता ग्रहण करेंगे।

पार्टी के कई अन्य नेता भी देंगे आजसू से इस्तीफा

फनी भूषण महतो ने बताया कि उनके साथ-साथ बहरागोड़ा प्रखंड आजसू अध्यक्ष अशोक बारिक, चाकुलिया नगर पंचायत अध्यक्ष देवाशीष दास सहित प्रखंड और पंचायत स्तर के कई अन्य नेता और कार्यकर्ता भी आजसू पार्टी से इस्तीफा देकर जेएलकेएम में शामिल होंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि आजसू पार्टी अपने मूल उद्देश्यों और सिद्धांतों से भटक गई है और अब उसका जनसरोकार से कोई वास्ता नहीं रह गया है।

जयराम महतो से प्रेरणा, जेएलकेएम को बताया बदलाव की उम्मीद

फनी भूषण महतो ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे और उनके समर्थक डुमरी विधायक जयराम महतो की कार्यशैली और विचारधारा से गहराई से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, “झारखंड के युवाओं को आज भी रोजगार नहीं मिल रहा है, लोग पलायन करने को मजबूर हैं। राज्य सरकार बाहरी लोगों को नौकरी दे रही है और स्थानीय युवाओं को नजरअंदाज कर रही है। ऐसी स्थिति में हमें झारखंडियों के हक और अधिकार के लिए एक नए नेतृत्व की जरूरत है, और वह नेतृत्व जयराम महतो दे सकते हैं।”

झारखंड के विकास के लिए जरूरी है सत्ता परिवर्तन

फनी भूषण महतो ने कहा कि जेएलकेएम ही झारखंड की जनता के लिए एक वैकल्पिक शक्ति बनकर उभर रहा है, और यदि यह पार्टी सत्ता में आती है तो राज्य का संपूर्ण विकास संभव है। उन्होंने दावा किया कि 13 जुलाई को होने वाले समारोह में सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता जेएलकेएम की सदस्यता लेंगे, जो भविष्य की राजनीति का संकेत देगा।

आजसू पार्टी को बड़ी क्षति…

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्वी सिंहभूम में आजसू पार्टी को जो झटका लगा है, वह केवल संगठनात्मक नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी एक बड़ी क्षति मानी जा रही है। ऐसे समय में जब 2025 का विधानसभा चुनाव समीप है, इस तरह का पलायन राज्य की सियासी दिशा और रणनीति दोनों को प्रभावित कर सकता है।

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