Home » बंगाल में शेर का नाम ‘अकबर’ और शेरनी का नाम ‘सीता’ रखने पर मचा बवाल, मामला पहुंचा हाईकोर्ट

बंगाल में शेर का नाम ‘अकबर’ और शेरनी का नाम ‘सीता’ रखने पर मचा बवाल, मामला पहुंचा हाईकोर्ट

by The Photon News Desk
Akbar Sita Lion Controversy
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

सेंट्रल डेस्क/ Akbar Sita Lion Controversy : बंगाल में शेर का नाम ‘अकबर’ और शेरनी का नाम ‘सीता’ रखने को लेकर माहौल गर्म हो गया है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने इसे हिंदू धर्म का अपमान बताते हुए कोलकाता हाईकोर्ट की जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच में वन विभाग के खिलाफ याचिका दायर की है।

विश्व हिंदू परिषद का कहना है कि शेरों का नाम राज्य के वन विभाग द्वारा रखा गया था और ‘अकबर’ के साथ ‘सीता’ रखना हिंदू धर्म का अपमान है। वहीं मामले में वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने शेरों का नाम नहीं बदला है।

13 फरवरी को यहां आने से पहले ही उनका नाम रखा जा चुका था। बता दें कि, विहिप ने 16 फरवरी को जस्टिस सौगत भट्टाचार्य की पीठ के समक्ष याचिका लगाई गई थी। जिस पर 20 फरवरी यानि कि कल सुनवाई होनी है।

Akbar Sita Lion Controversy : त्रिपुरा के चिड़ियाघर से लाए गए थे दोनों शेर

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इन दोनों शेरों को 13 फरवरी को त्रिपुरा के चिड़ियाघर से लाया गया था। बंगाल के विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता अनूप कुमार मंडल (Anup Kumar Mandal) और लक्ष्मण कुमार अग्रवाल (Laxman Kumar Agarwal) ने इस मामले को लेकर एक एफआईआर दर्ज करवाई है।

ममता सरकार को देना पड़ सकता है जवाब

इस केस की जांच पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) की सरकार तक पहुंच सकती है, क्योंकि इस मामले में सीधे सरकार को जवाब देना होगा। वहीं हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल (Vinod Bansal) ने एक्स पर किए गए पोस्ट में मामले को मन झकझोरने वाला बताया। उन्होंने लिखा कि यह जरूर पता चलना चाहिए कि शेर-शेरनी के हिंदू मुस्लिम नाम किसने रखे। इससे हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है।

क्या कहा बंगाल के वन मंत्री ने

तृणमूल कांग्रेस के विधायक और पश्चिम बंगाल के वन मंत्री बीरबाहा हांसदा का कहना है कि विहिप घटिया राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा, त्रिपुरा चिड़ियाघर से लाए गए जानवरों का नामकरण हमने नहीं किया है। ये कहना ग़लत है कि ये नाम हमने दिए हैं। औपचारिक तौर पर मुख्यमंत्री इन जानवरों के नाम देंगी।

ये जानवर त्रिपुरा चिड़ियाघर से आए हैं, हो सकता है उन्होंने वहां पर इनके नाम दिए हों। बता दें, कि अकबर शेर की आयु सात साल है, जबकि सीता शेरनी साढ़े पांच साल की है। दोनों को फिलहाल अलग-अलग बाड़े में रखा गया है। इन्हें कम से कम दो महीने बाद लोगों के देखने के लिए बाड़े में रखा जा सकता है।

READ ALSO : छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण रोकने के लिए सख्त कानून लाएगी बीजेपी सरकार, जानिए इस कानून में क्या कुछ होगा…

Related Articles