Dumka (Jharkhand) : झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी शुक्रवार को दुमका और पश्चिम बंगाल की सीमा पर स्थित ऐतिहासिक मंदिरों के गांव मलूटी पहुंचीं। उन्होंने अपने पति, पूर्व मुख्य सचिव डीके तिवारी के साथ मां मौलीक्षा की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर मुख्य सचिव ने सिकीड़बाड़ी, छय तरफ और राजाड़बाड़ी स्थित मंदिर परिसरों का अवलोकन किया और वहां की टेराकोटा कला से बनी अद्वितीय नक्काशियों को करीब से देखा।
मलूटी के मंदिरों का इतिहास और महत्व
मलूटी, शिकारीपाड़ा प्रखंड का एक ऐसा गांव है, जिसे “मंदिरों का गांव” कहा जाता है। यहां 18वीं सदी में राजा बसंत राय ने 108 शिव मंदिरों का निर्माण कराया था, जिनमें से 72 मंदिर आज भी सुरक्षित खड़े हैं। हाल के वर्षों में शेष मंदिरों के संरक्षण का प्रयास भी हुआ है।
मलूटी केवल अपनी कला और संस्कृति के लिए ही नहीं बल्कि राष्ट्र की अस्मिता और सुरक्षा से भी जुड़ा है। इसे गुप्तकाशी भी कहा जाता है। यहां ब्रिटिश हुकूमत ने वर्ष 1939 में ही वायुसेना के लिए भूमि अधिग्रहित कर हवाई पट्टी बनाई थी, जिसका उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध, 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाक युद्ध में भी किया गया था।
ग्रामीणों से संवाद और समस्याओं पर चर्चा
मुख्य सचिव अलका तिवारी ने पत्ताबाड़ी में ग्रामीणों से आत्मीयता से बातचीत की। ग्रामीणों ने बताया कि कई साल पहले लगाए गए सोलर स्ट्रीट लाइट आज तक चालू नहीं हो पाए। कभी ट्रांसफार्मर तो कभी तार की समस्या के कारण ग्रामीण अंधेरे में हैं। इस दौरान उपायुक्त अभिजीत सिन्हा, पुलिस अधीक्षक पीतांबर सिंह खेरवार, डीएफओ सात्विक व्यास समेत जिला प्रशासन के कई अधिकारी मौजूद थे।
बच्चों की रचनात्मकता पर जोर
मसानजोर लौटने पर मुख्य सचिव ने इको कॉटेज में शिक्षा विभाग की पत्रिका ‘सालूक’ का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि पत्रिका में ऐसी जानकारियां भी शामिल हों जो बच्चों की प्रतियोगी परीक्षाओं में सहायक साबित हों। साथ ही, बच्चों की रचनाओं को अधिक स्थान दिया जाए और हर विद्यालय के पुस्तकालय में उपलब्ध कराया जाए।
इसके बाद उन्होंने वीआर हेडसेट के जरिए मसानजोर डैम और उसके प्राकृतिक सौंदर्य का अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से पर्यटन को नई पहचान मिलेगी और विकास की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम होगा।