Jamshedpur (Jharkhand) : स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) की पहल के तहत अरका जैन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ नर्सिंग द्वारा “कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) जागरूकता सप्ताह” का आयोजन किया गया। इस अभियान का उद्देश्य सीपीआर तकनीकों के महत्व को समझाना और आम नागरिकों को आपातकालीन परिस्थितियों में जीवन रक्षक कौशल से सशक्त बनाना था।

कार्यक्रम की शुरुआत MyGov पोर्टल के माध्यम से एक ऑनलाइन प्रतिज्ञा के साथ हुई, जिसमें छात्रों और शिक्षकों ने सीपीआर सीखने और समाज में जागरूकता फैलाने का संकल्प लिया। इसके बाद “सीपीआर तकनीक और दर्शकों की भूमिका” विषय पर ऑनलाइन पैनल चर्चा और क्विज़ प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसने प्रतिभागियों को जीवन रक्षा के वैज्ञानिक और व्यावहारिक पहलुओं से अवगत कराया।
रचनात्मकता और प्रदर्शन के माध्यम से जागरूकता
सीपीआर तकनीकों पर आयोजित पोस्टर प्रतियोगिता में छात्रों ने अपनी रचनात्मकता के माध्यम से स्वास्थ्य जागरूकता का संदेश दिया। आकर्षक और सूचनाप्रद पोस्टर्स ने दर्शकों में सीपीआर को लेकर जिज्ञासा और समझ दोनों को बढ़ाया।
एमजीएम अस्पताल, डिमना में छात्रों और संकाय सदस्यों ने “केवल हाथों से सीपीआर” की विधि का प्रदर्शन किया। इस व्यावहारिक सत्र ने प्रतिभागियों को आपात स्थिति में सही प्रतिक्रिया देने की क्षमता विकसित करने में मदद की। साथ ही आर्यभट्ट ब्लॉक में लगाए गए जागरूकता बूथ के माध्यम से लोगों को लाइव डेमो और दृश्य प्रदर्शन द्वारा सीपीआर तकनीक सिखाई गई।

नुक्कड़ नाटक से मिला जीवन रक्षा का संदेश
कार्यक्रम का समापन मुसरीकुदर गांव (गम्हरिया) में आयोजित एक प्रभावशाली नुक्कड़ नाटक के साथ हुआ। इस नाटक में सीपीआर की आवश्यकता और आम नागरिकों की भूमिका को सरल व भावनात्मक तरीके से प्रस्तुत किया गया। ग्रामीणों ने इसे खूब सराहा और सीपीआर सीखने में रुचि दिखाई।
नेतृत्व और प्रेरणा से साकार हुआ अभियान
पूरा अभियान प्रो. जीनु एनी जोसेफ (प्राचार्य, स्कूल ऑफ नर्सिंग) और प्रो. शिल्पा जे (उपप्राचार्य) के नेतृत्व में संपन्न हुआ। प्रो. जीनु एनी जोसेफ ने कहा, “सीपीआर केवल चिकित्सा का ज्ञान नहीं, बल्कि यह मानवता की सेवा का प्रभावी माध्यम है। यदि हर व्यक्ति इसे सीख ले, तो असंख्य जीवन बचाए जा सकते हैं।” उन्होंने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि नर्सिंग का वास्तविक अर्थ समय पर जीवन बचाने की तत्परता है।
वहीं, प्रो. शिल्पा जे ने कहा, “सीपीआर जागरूकता सप्ताह जैसी गतिविधियाँ छात्रों में न केवल व्यावहारिक दक्षता बढ़ाती हैं, बल्कि उनमें आत्मविश्वास, संवेदनशीलता और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना भी प्रबल करती हैं।” दोनों संकाय सदस्यों के प्रेरक संदेशों ने छात्रों में सेवा भावना, समर्पण और समाज के कल्याण के प्रति सक्रिय भागीदारी की भावना को और सशक्त किया।