सेंट्रल डेस्क : भारतीय राजनीति के महान नेता, भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 100वीं जयंती है। यह दिन सिर्फ उनके जीवन और योगदान को याद करने का अवसर नहीं है, बल्कि यह सुशासन दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। अटल जी ने अपने कार्यकाल में देश को स्थिरता और प्रगति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई अन्य नेताओं ने अटल जी को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी विरासत को सलाम किया।
आज देशभर में उनकी जयंती धूमधाम से मनाई जा रही है। भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) और उसके सहयोगी दल अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती को राजनीतिक एकता और ताकत के रूप में मनाने की तैयारी में जुटे हैं। इस अवसर पर नई दिल्ली में ‘सदैव अटल’ स्मारक पर एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रधानमंत्री मोदी के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई शीर्ष नेता इस कार्यक्रम में शामिल हुए। यह सभा न केवल अटल जी को श्रद्धांजलि देने का मौका है, बल्कि एनडीए सरकार की एकजुटता और राजनीतिक शक्ति को भी दर्शाती है।
प्रधानमंत्री मोदी का मध्य प्रदेश दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मध्य प्रदेश का दौरा करेंगे, जहां वे खजुराहो में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। इनमें केन-बेतवा नदी परियोजना का शिलान्यास भी शामिल है, जो अटल जी के सपनों का हिस्सा रही है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करेंगे। वे 1153 अटल ग्राम सुशासन भवनों की भी आधारशिला रखेंगे, जो ग्रामीण क्षेत्रों में सुशासन के लिए ग्राम पंचायतों के कार्यों में अहम भूमिका निभाएंगे।
अटल जी का जीवन और शिक्षा
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ था। उनके पिता श्रीकृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता कृष्णा देवी के घर जन्मे अटल जी की प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर में ही हुई थी। उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की और इसके बाद कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति विज्ञान में एमए किया। वाजपेयी जी ने कानून की पढ़ाई भी की थी और कानपुर में अपने पिता के साथ एलएलबी की डिग्री ली थी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव और स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी
अटल जी का जीवन एक सच्ची राष्ट्रीयता और सेवा का प्रतीक रहा। उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी भाग लिया था और इसके कारण उन्हें 24 दिन तक जेल में रहना पड़ा था। वाजपेयी जी का राजनीतिक कॅरियर भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा था। उन्होंने 10 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा में सांसद के रूप में सेवाएं दीं। वे एकमात्र ऐसे सांसद रहे, जो चार अलग-अलग राज्यों—दिल्ली, गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश से चुने गए थे।
प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी का योगदान
अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई 1996 को भारत के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, लेकिन उन्हें तत्कालीन संसद में समर्थन की कमी के कारण इस्तीफा देना पड़ा। बाद में 1998 में उन्होंने पुनः प्रधानमंत्री पद संभाला और फिर 1999 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। उनका प्रधानमंत्री बनने का यह दौर भारत के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ था, खासकर उस समय जब देश राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहा था। अटल जी ने इस कठिन समय में देश को एक स्थिर सरकार दी और सुशासन की दिशा में कई बड़े कदम उठाए।
भारत की प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे में क्रांति
वाजपेयी जी की सरकार ने देश को सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार क्षेत्र में नई दिशा दी। उनकी सरकार में ही स्वर्णिम चतुर्भुज योजना की शुरुआत हुई, जिसने देश के विभिन्न महानगरों को एक मजबूत नेटवर्क से जोड़ा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसी योजनाओं के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान की गई। उनके कार्यकाल में दिल्ली मेट्रो आरंभ हुआ, जो आज विश्वस्तरीय परिवहन प्रणाली बन चुकी है।
राष्ट्रीय सुरक्षा और परमाणु परीक्षण
अटल जी की सरकार में 1998 में पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण किए गए, जिसे ‘ऑपरेशन शक्ति’ नाम दिया गया। इस परीक्षण ने भारत को परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया और देश के वैज्ञानिकों की उपलब्धियों को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। हालांकि इस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हुई, लेकिन अटल जी ने किसी भी दबाव के आगे न झुकने का साहस दिखाया और देश की सुरक्षा को प्राथमिकता दी।
अटल जी की स्थायी धरोहर
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी राजनीति में जो स्थायी धरोहर छोड़ी, वह उनकी दूरदृष्टि और संवेदनशील नेतृत्व से उत्पन्न हुई। उन्होंने हमेशा भारतीय संस्कृति, धर्म और समाज की विविधता का सम्मान किया। उनके शासन में भारत ने न केवल राजनीतिक स्थिरता हासिल की, बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए। उनका जीवन प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा और आज भी उनका योगदान भारतीय राजनीति और समाज के हर क्षेत्र में महसूस किया जाता है।
अटल जी की 100वीं जयंती पर देश उन्हें याद करता है और उनके द्वारा किए गए कार्यों और आदर्शों को आगे बढ़ाने का संकल्प लेता है। उनका जीवन एक प्रेरणा है, जो न केवल नेताओं के लिए बल्कि हर नागरिक के लिए प्रेरणादायक है।
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