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Bangladesh Sheikh Hasina Properties Seized : ढाका कोर्ट का आदेश, शेख हसीना की संपत्ति होगी जब्त, जानें कितने बैंक खाते हैं और…

by Anand Mishra
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नई दिल्ली : बांग्लादेश की एक अदालत ने देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके परिवार के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने आदेश दिया है कि शेख हसीना और उनके परिवारवालों की सभी संपत्तियां जब्त कर ली जाएं। इसमें उनके निजी बैंक खातों के अलावा उनका आवास ‘सुधासदन’ भी शामिल है। अदालत के इस आदेश से शेख हसीना की मुसीबतें और भी बढ़ सकती हैं।

परिवार की भी संपत्ति जब्त करने का आदेश

बांग्लादेश की ढाका अदालत ने यह आदेश दिया कि शेख हसीना और उनके परिवार के सभी बैंक खाते और संपत्तियां जब्त कर ली जाएं। शेख हसीना के बेटे साजिब वाजेद जॉय, उनकी बेटी साइमा वाजेद पुटुल, बहन शेख रेहाना, और उनके पोते-पोतियां ट्यूलिप सिद्दीकी और रादवान मुजीब सिद्दीकी की संपत्तियां भी इस आदेश के दायरे में आती हैं। अदालत ने आदेश दिया है कि इन सभी के संयुक्त रूप से 124 बैंक अकाउंट्स को जब्त किया जाए।

इसके अलावा शेख हसीना का व्यक्तिगत आवास ‘सुधासदन’ भी इस आदेश में शामिल है। यह आवास उनके दिवंगत पति एमए वाजेद मिया के नाम पर था, जो एक प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक थे और जिन्हें सुधा मिया के नाम से भी जाना जाता था। शेख हसीना के खिलाफ यह अदालत का आदेश बांग्लादेश के राजनीतिक संकट को और भी गहरा कर सकता है, खासकर जब उनके खिलाफ ऐसे फैसले एक संवेदनशील समय पर आ रहे हैं।

बांग्लादेश सरकार का कड़ा रुख

बांग्लादेश सरकार इस समय शेख हसीना को चारों ओर से घेरने की कोशिश कर रही है। इस कदम से सरकार का उद्देश्य शेख हसीना पर दबाव बनाना है, ताकि वह आत्मसमर्पण करने पर मजबूर हो जाएं। यह मामला न केवल शेख हसीना के लिए बल्कि उनके परिवार के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन सकता है।

शेख हसीना की स्थिति और भारत में शरण

गौरतलब है कि शेख हसीना पिछले साल अगस्त से भारत में शरण लेकर रह रही हैं। यह स्थिति तब उत्पन्न हुई थी जब बांग्लादेश में छात्र आंदोलन उग्र हो गया था और हिंसा की घटनाएं बढ़ने लगी थीं। राजधानी ढाका में उनके सरकारी आवास पर उग्र भीड़ ने हमला कर दिया था, जिससे उनकी जान को खतरा हो गया था। इस घटनाक्रम के बाद शेख हसीना ने भारत आने का निर्णय लिया और तब से वह भारत में ही रह रही हैं।

बांग्लादेश में बढ़ता राजनीतिक तनाव

माना जा रहा है कि शेख हसीना के खिलाफ अदालत के इस आदेश से बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव और बढ़ सकता है। वह और उनके समर्थक इसे एक राजनीतिक प्रतिशोध के रूप में देख सकते हैं, जबकि बांग्लादेश सरकार इसे कानून और व्यवस्था के तहत जरूरी कदम मान सकती है। इस स्थिति में बांग्लादेश के राजनीतिक भविष्य पर गहरा असर पड़ सकता है, और यह आने वाले समय में और जटिल हो सकता है।

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