नई दिल्ली : यदि आप भी किसी संगठित क्षेत्र में काम कर रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए खुशखबरी लेकर आई है। केंद्र सरकार एम्पलॉय प्राविडेंट फंड (EPF) के तहत न्यूनतम वेतन सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है। इस प्रस्ताव के मंजूरी मिलने के बाद, करोड़ों EPF खाताधारकों को बड़ा लाभ होगा।
क्या है नया बदलाव?
वर्तमान में, EPF के तहत पेंशन कटौती बेसिक सैलरी के 15,000 रुपए तक के हिसाब से की जाती है, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 21,000 रुपए किया जा सकता है। इस बदलाव से कर्मचारियों की पेंशन और EPF में योगदान बढ़ेगा। इसके साथ ही, EPF से जुड़ने के लिए कर्मचारियों की न्यूनतम संख्या को भी घटाकर 10 से 15 किया जा सकता है, जिससे ज्यादा संख्या में कर्मचारी इसका लाभ उठा सकेंगे।
पिछला बदलाव: 2014 में हुआ था आखिरी बदलाव
इससे पहले, एम्पलॉय प्राविडेंट फंड में न्यूनतम वेतन सीमा में आखिरी बार 2014 में बदलाव किया गया था। उस समय बेसिक सैलरी 6,500 रुपए थी, जिसे बाद में 15,000 रुपए किया गया। अब, 10 साल बाद, सरकार EPF की इस लिमिट को बढ़ाने की योजना बना रही है। श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मंडाविया के अनुसार, सरकार इस मामले की समीक्षा कर रही है और EPF से जुड़ी अन्य लंबित समस्याओं पर भी जल्द निर्णय लिया जाएगा।
EPF में योगदान कैसे होता है
EPF योजना के तहत, कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को बेसिक वेतन का 12 फीसदी योगदान करना होता है। इसका 8.33 फीसदी हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) में जाता है, जबकि 3.67 फीसदी EPF खाते में जमा होता है। यदि न्यूनतम वेतन सीमा बढ़ाई जाती है, तो इसके अनुसार दोनों योगदान में वृद्धि होगी। इसका मतलब है कि न केवल कर्मचारी को बेहतर पेंशन मिलेगी, बल्कि उनकी EPF में जमा राशि भी बढ़ेगी।
प्राइवेट सेक्टर कर्मचारियों के लिए लाभ
यदि सरकार प्रस्ताव को मंजूरी देती है, तो इससे प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारियों को भी बड़ा लाभ होगा। पेंशन राशि में बढ़ोतरी होगी, जिससे रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को ज्यादा धनराशि मिलेगी। इसके अलावा, सैलरी लिमिट में इजाफा होने से EPF के दायरे में और अधिक कर्मचारी आएंगे, जो इस योजना का लाभ उठा सकेंगे।