चाईबासा: पश्चिमी सिंहभूम जिला के जगन्नाथपुर प्रखंड के गुमरिया पंचायत क्षेत्र के लखीपाई गांव में एक ही गोत्र के युवक-युवती की ऑनलाइन जान-पहचान हुई। इस जान-पहचान ने प्रेम का रूप लिया, जिसके फलस्वरूप दोनों ने प्रेम विवाह कर लिया।
‘पाप की श्रेणी’ में रखा गया प्रेम विवाह
युवक-युवती द्वारा किए गए इस विवाह को सामाजिक रूप से अमान्य घोषित करते हुए इसे ‘पाप की श्रेणी’ में रखा गया है। बुधवार को मानकी मुंडा, डाकुवा, दिऊरी और आदिवासी हो समाज युवा महासभा के पदाधिकारी के उपस्थिति में ग्रामीणों ने एक बैठक लखीपाई गांव बुलाकर युवक-युवती के परिवारों को सामाजिक बहिष्कार का दंड दिया है।
गांव के शुद्धिकरण का लिया गया निर्णय
परिवारों को सामाजिक बहिष्कार के दंड के साथ ही आदिवासी हो समाज की परंपरा और रीति-रिवाज के अनुसार गांव का शुद्धिकरण करने का भी निर्णय लिया गया है। यह घटना समाज को शर्मसार कर देने वाली है, क्योंकि आदिवासी समाज में एक ही गोत्र के लोगों को भाई-बहन माना जाता है। इस विवाह को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया है। इस तरह की घटनाएं पहले भी सामने आई हैं, जहां अंर्तजातीय विवाह करने पर परिवारों को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा है। यह समाज की रूढ़िवादी सोच को दर्शाता है, जो प्रेम और विवाह की आजादी को स्वीकार नहीं करती है।

