कुल्लू : हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित बिजली महादेव मंदिर एक चमत्कारी और रहस्यमयी शिव मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है। हाल ही में इस मंदिर से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां मंदिर के द्वार को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। मंदिर प्रबंधन समिति का कहना है कि यह निर्णय निजी कार्यों के चलते लिया गया है, लेकिन स्थानीय लोगों में चर्चा है कि मंदिर के शिवलिंग पर आकाशीय बिजली (वज्रपात) गिरने से वह खंडित हो गई है।
क्या शिवलिंग पर बिजली गिरने के कारण बंद हुआ मंदिर
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कुछ दिनों पहले बिजली गिरने की घटना के बाद शिवलिंग खंडित हुई है। हालांकि, मंदिर समिति ने इन खबरों को खारिज किया है। फिर भी, मंदिर के कपाट बंद होने और स्पष्ट जानकारी न मिलने के कारण स्थानीय लोग भी स्थिति को लेकर असमंजस में हैं।
हर 12 साल में क्यों गिरती है बिजली इस मंदिर पर
बिजली महादेव मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार, हर 12 वर्षों में एक बार मंदिर पर आकाशीय बिजली गिरती है, जिससे मंदिर के अंदर स्थापित शिवलिंग खंडित हो जाती है। इसके बाद गांव के लोग मक्खन और कुछ पारंपरिक सामग्रियों की सहायता से खंडित शिवलिंग को पुनः जोड़ते हैं। इस पूरी प्रक्रिया के बाद जब शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है, तो वह पहले जैसा अखंड दिखाई देता है। यह अद्वितीय धार्मिक और चमत्कारी प्रक्रिया मंदिर को विशेष बनाती है।
बिजली महादेव मंदिर की पौराणिक कथा : राक्षस कुलांत से जुड़ा है रहस्य
मंदिर से जुड़ी प्राचीन कथा के अनुसार, एक बार कुलांत नामक राक्षस ने अजगर का रूप धारण कर व्यास नदी का प्रवाह रोक दिया था, जिससे जलचरों की मृत्यु होने लगी। भगवान शिव ने त्रिशूल से कुलांत का वध कर दिया और राक्षस का शरीर पर्वत में परिवर्तित हो गया। मान्यता है कि इस घटना के बाद भगवान शिव ने इंद्र देव से हर 12 साल में इस स्थान पर बिजली गिरवाने का वरदान मांगा, जिससे इस घटना की स्मृति बनी रहे।
बिजली महादेव मंदिर : धार्मिक महत्व और अद्वितीय परंपराएं
मंदिर समुद्र तल से लगभग 2,460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह स्थल प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम माना जाता है। श्रावण मास और महाशिवरात्रि जैसे पर्वों पर यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं।