रांची : झारखंड सरकार की सबसे युवा मंत्री है- शिल्पी नेहा तिर्के। झारखंड की कृषि मंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण करने के बाद से शिल्पी ने सीड विलेज बनाने पर फोकस किया है। राजनीतिक परिवार से सीधा संबंध रखने वाली शिल्पी ने साल 2022 में मांडर सीट में हुए उपचुनाव से अपनी राजनीतिक सफर की शुरूआत की।
शिल्पी नेहा तिर्की: शैक्षणिक योग्यता
शिल्पी की शैक्षणिक परिपाटी पर नजर डालें तो उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा मांडर के ही सेक्रेंड हार्ट स्कूल से पूरी की। आगे की पढ़ाई उन्होंने सेंट जेवियर, रांची से पूरी कर 2013 में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई के लिए बैंगलोर के क्राइस्ट युनिवर्सिटी का रूख किया और फिर साल 2015 में मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से डिप्लोमा इन मार्केटिंग कम्युनिकेशन की डिग्री हासिल की।
शिल्पी नेहा तिर्की: राजनीतिक सफर
साल 2022 में मांडर सीट पर उपचुनाव के साथ राजनीति की शुरूआत करने वाली शिल्पी ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल कर विधायक बनी। मांडर सीट से लगातार दो बार विधायक बनी शिल्पी का जन्म 16 अगस्त 1993 में हुआ था। रांची के हटिया जिले से ताल्लुक रखने वाली शिल्पी के लिए उपचुनाव बेहद जरूरी रहा, क्यों कि उनके पिता बंधु तिर्की को आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराया गया और उन्हें सदन से अयोग्य घोषित कर दिया गया।
2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में उन्होंने 1,35,936 वोट हासिल कर बीजेपी के सनी टोप्पो का 22,803 वोटों के अंतर से हराया। मंत्री पद की शपथ लेने से पहले शिल्पी ने यह कहते हुए, अपने विभाग की जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाने का वादा किया, कि आलाकमान हर पैनी चीजों पर नजर रखती है, तो जाहिर तौर पर वो मेरे काम पर भी नजर रखेंगी, इसलिए पूरी ईमानदारी औऱ कर्तव्यनिष्ठा से काम करूंगी। युवा और महिलाओं को शिल्पी अपनी पहली प्राथमिकता मानती है।
शिल्पी नेहा तिर्की के पिता भी रहे है सक्रिय राजनीति का हिस्सा
शिल्पी नेहा तिर्की के पिता बंधु तिर्की की गिनती झारखंड के दिग्गज नेताओं के रूप में होती है। उन्हें मनी लॉंड्रिंग के मामले में अयोग्य ठहराया गया था। 2022 में मांडर से विधायक रहे बंधु तिर्की को इस मामले में तीन साल की सजा सुनाई गई और उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द हो गई। जिसके बाद पिता की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए शिल्पी को राजनीति में आना पड़ा। राजनीति में आने से पहले शिल्पी को लाखों रुपये के पैकेज वाली नौकरी भी छोड़नी पड़ी थी। शिल्पी के पति मर्चेंट नेवी में सेकेंड इंजीनियर के तौर पर काम करते है।
बीते तीन साल से भी कम समय में शिल्पी ने अपनी काबिलियत साबित की है। उन्होंने सदन के बाहर और भीतर सरकार का मजबूती से बचाव किया है और विपक्ष के तमाम हमलों का उन्हीं के शब्दों में खंडन किया है। उम्र में छोटी शिल्पी पदाधिकारियों की खबर लेते हुए भी दिख जाती है और विभाग से संबंधित सवालों के जवाब न मिलने पर वे संबंधित अधिकारियों पर जमकर बरसती है।
अपने बयानों से मचाती है सियासी घमासान
शिल्पी के एक बयान ने ऐसा कहर मचाया कि बिहार औऱ झारखंड दोनों की राजनीतिक जमीन पर भूचाल ला दिया। बीजेपी, राजद और जेडीयू ने उनके बयान पर मोर्चा खोल दिया। बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों पर प्रतिक्रिया देते हुए शिल्पी ने कहा कि सबसे अधिक वक्त तक ये लोग सत्ता में रहे और 1985 में डोमिसाइल नीति लाकर अपार्टमेंट में रहने वालों को भी रेसिडेंशियल सर्टिफिकेट दे दिया और यहां के मूल निवासी को आलीशान भवनों से दूर भेज दिया गया। बिहारियों की तुलना बांग्लादेशियों से किए जाने के बाद शिल्पी पर झारखंड से लेकर बिहार तक हमला हुआ।