नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती, जो कि 14 अप्रैल को है, पूरे देश में सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने शुक्रवार को इस फैसले की जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ के माध्यम से दी है। इस फैसले के तहत, 14 अप्रैल को देशभर में सरकारी दफ्तरों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों समेत सभी केंद्रीय सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे।
बाबा साहेब की जयंती पर राष्ट्रीय सम्मान
गजेंद्र सिंह शेखावत ने अपने पोस्ट में कहा, “हमारे संविधान के निर्माता और समाज में समानता का नया युग स्थापित करने वाले बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती अब सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाई जाएगी। इस निर्णय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने बाबा साहेब के अनुयायियों और राष्ट्र की भावनाओं का सम्मान किया है।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यह फैसला डॉ. अंबेडकर के योगदान को और उनकी सामाजिक न्याय की दिशा में की गई उल्लेखनीय भूमिका को मान्यता देने के लिए लिया गया है।
केंद्र सरकार के आदेश की पुष्टि
भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा जारी सरकारी आदेश में इस निर्णय की आधिकारिक पुष्टि की गई है। आदेश में कहा गया है कि केंद्रीय सरकारी दफ्तरों, मंत्रालयों और विभागों के अलावा औद्योगिक प्रतिष्ठान भी 14 अप्रैल को बंद रहेंगे। यह निर्णय डॉ. अंबेडकर के योगदान और उनकी जयंती के महत्व को मान्यता देने के उद्देश्य से लिया गया है, ताकि समाज में उनके योगदान को सही सम्मान मिल सके।
डॉ. भीमराव अंबेडकर का जीवन और योगदान
डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्हें उनके अनुयायी बाबा साहेब के नाम से भी पुकारते हैं, का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। डॉ. अंबेडकर का जीवन समाज के कमजोर वर्गों, खासकर दलितों और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए संघर्ष करने का उदाहरण है। उन्होंने भारतीय समाज में समानता की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए और भारतीय संविधान को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई, जिसने देश के हर नागरिक को समान अधिकारों और अवसरों का आश्वासन दिया।
डॉ. अंबेडकर ने भारतीय समाज को जातिवाद, असमानता और भेदभाव से मुक्ति दिलाने के लिए जीवनभर संघर्ष किया। वह भारतीय राजनीति के एक महान नेता के रूप में जाने जाते हैं और आधुनिक भारत के निर्माण में उनकी भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण रही है। डॉ. अंबेडकर को भारतीय समाज में सामाजिक और आर्थिक न्याय के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए याद किया जाता है।
महापरिनिर्वाण दिवस 6 दिसंबर
डॉ. अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर, 1956 को हुआ था। इस दिन को हर साल महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसमें उनके योगदान और उनके द्वारा किए गए संघर्ष को याद किया जाता है। डॉ. अंबेडकर के योगदान के लिए उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न, देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, से सम्मानित किया गया था।
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