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RIMS: राज्य के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल रिम्स में फैला है अव्यवस्था का आलम

अस्पताल में मरीजों को हाइजिनिक खाना उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एजेंसी को हायर किया गया है। यह एजेंसी मरीजों को सुबह के नाश्ते से लेकर रात के खाने तक उपलब्ध कराती है।

by Anurag Ranjan
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रांची : राज्य के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल रिम्स में चारों ओर अव्यवस्था का आलम है। फ्लोर से लेकर खाने तक की स्थिति ठीक नहीं है। कैंपस में ही बीमारी बांटने का पूरा इंतजाम है। इसके अलावा भी कई चीजें हैं, जो प्रबंधन को दिखाई नहीं दे रही हैं। लेकिन, इन सबका खामियाजा हॉस्पिटल में इलाज के लिए आने वाले मरीज भुगत रहे हैं।

मेन्यू है पर मिल रही खिचड़ी

अस्पताल में मरीजों को हाइजिनिक खाना उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एजेंसी को हायर किया गया है। यह एजेंसी मरीजों को सुबह के नाश्ते से लेकर रात के खाने तक उपलब्ध कराती है। इसके लिए अलग-अलग मेन्यू भी तय है। लेकिन, एजेंसी मरीज को खिचड़ी खिला रही है। इस खिचड़ी में मेन्यू तो होता है। बस मरीजों के पास पहुंचते पहुंचते ही वो खिचड़ी बन जाता है। थाली में परोसा गया खाना एक दूसरे से मिक्स हो जाता है। मरीज भी वहीं खाना खाने को मजबूर हैं। आखिर उनके पास और कोई चारा नहीं है।

कैंपस में जमा है कचरा, जलजमाव भी

हॉस्पिटल कैंपस की सफाई के लिए प्रबंधन हर साल लगभग 4 करोड़ रुपये खर्च करता है। इसके बावजूद कैंपस में कचरा जमा है। वहीं बेसमेंट में कचरा और पानी भरा पड़ा है। जिससे मच्छरों के पनपने का पूरा इंतजाम है। इससे इलाज को आने वाले मरीजों और परिजनों पर बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। बता दें कि बेसमेंट में ही डेंगू मलेरिया के मरीजों के इलाज के लिए वार्ड बनाया गया है। जहां पर हमेशा मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जाता है। ऐसे में उन्हें भी इन्फेक्शन का डर सता रहा है।

टूटे फ्लोर बढ़ा रहे मरीजों का दर्द

हॉस्पिटल में लंबे समय से फ्लोर टूटा हुआ है। जिससे आए दिन मरीजों की ट्रॉली टूट जाती है। टूटे फ्लोर मरीजों का दर्द बढ़ा रहे हैं। टूटे फ्लोर के कारण झटकों की वजह से उन्हें काफी परेशानी हो रही है। इतना ही नहीं टूटे फ्लोर के कारण कई लोग चोटिल भी हो रहे हैं। इसके बावजूद प्रबंधन का ध्यान इस ओर नहीं है। हॉस्पिटल की पुरानी बिल्डिंग में सीढ़ियों की हालत भी खराब है। लोहे की रेलिंग टूट गई है। इससे हर दिन लोग चोटिल हो रहे हैं। वहीं लोगों को गिरने का खतरा भी बना रहता है। इस ओर प्रबंधन का ध्यान नहीं है, जबकि प्रबंधन हॉस्पिटल की व्यवस्था बेहतर होने का दावा करता है।

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